Shimla News : केन्द्रीय बजट से हिमाचल प्रदेश को फ़िर मिली हताशा, प्रदेश के लाखों लोगों के कल हितों को किया नज़रंदाज़

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Himachal Pradesh again disappointed with the Union Budget, the interests of lakhs of people of the state were ignored yesterday.

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव (समन्वय) व वारिष्ठ प्रवक्ता देवेन्द्र बुशैहरी ने अपने वक्तव्य में कल नये संसद भवन के हाॅल से एनडीए सरकार की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत केन्द्रीय बजट को निराशाजनक बताते हुए कहा कि अन्य कांग्रेस शासित राज्यों की तरह प्रदेश को इस बार भी बजट से लगातार निराशा ही हाथ लगी। उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश एक पहाड़ी वन अच्छादित क्षेत्र है। यहॉं के 80% वन क्षेत्र केंद्र के आधीन होने के कारण औधोगीकरण के लिए पर्याप्त भूमि उपलब्ध नहीं होने कारण बड़े उधोगों हेतु परिस्थितियां अनुकूल नहीं हैं। जिस कारण प्रदेश की अर्थव्यवस्था मुख्य तौर पर सेब व पर्यटन पर आधारित है।


केन्द्र सरकार की और से सेब आधारित अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने के लिए आश्वासन तो दिए जाते रहे हैं किंतु धरातल पर कुछ भी नहीं हुआ। यहां व केन्द्र में पिछले दस सालों में भाजपा की सरकार होने के बावज़ूद भी न तो आयातित विदेशी सेब पर आयात शुल्क बढ़ाया गया बल्कि कम कर दिया गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हिमाचल के बागबानों से किए वायदे अनुसार सेब के जूस को सोफ़्ट ड्रिंक्स बनाने वाली कंपनियों को खरीदने की बात को भी पूरा नहीं किया, सेबों के समर्थन मूल्य को लेकर भी केन्द्र सरकार का रवैया भी ढुलमुल है। जहां वे किसान सम्मान निधि देने की बात करते हैं वहीं कांग्रेस सरकार द्वारा कीटनाशकों,खाद, खेती यन्त्रों पर दी जाने वाली सब्सिडी को भाजपा ने खत्म कर दिया है और उपरोक्त वस्तुओं के मूल्यों में भी लगातार वृद्धि होने से यहां के बागबानों में भारी हताशा है।


हिमाचल प्रदेश एक सुन्दर पर्वतीय क्षेत्र होने के नाते यहां पर्यटन व पनबिजली परियोजनाओं की भी अपार संभावनाएं हैं लेकिन इन्हें लेकर भी केन्द्र सरकार ने कोई गम्भीरता नहीं दिखाई व उनका रवैया सदैव निराशाजनक रहा है।


इन कारणों से हिमाचल प्रदेश की वित्तीय  स्थिति लगातार कमज़ोर होती जा रही है, जिससे राज्य सरकार को प्रदेश की गतिविधियों को चलाने, कर्मचारियों को वेतन देने, औधोगीकरण कम होने से  रोज़गार के अवसर भी सृजित न होने से बेरोज़गारी की दर लगातार बढ़ रही है । जिस कारण यहां अर्थव्यवस्था एक घाटे की अर्थव्यवस्था बन कर उभर रही है,जिसका पूरा श्रेय केन्द्र की मोदी सरकार को जाता है।
अतः इन सभी चुनौतियों से पार पाने के लिए पूर्व की भाजपा सरकार की निराशाजनक नितियों के फलस्वरूप वर्तमान राज्य सरकार को भी भारी ब्याज पर ऋण उठाने पड़ रहे हैं,जिसे पहले ही लगभग 92 हज़ार करोड़ रुपए का भारी-भरकम ऋण पूर्व भाजपा सरकार से विरासत में मिला है।


यधपि माननीय वित्त मंत्री ने बजट प्रस्तुत करने के दौरान हिमाचल प्रदेश में पिछले वर्ष आई भयंकर प्राकृतिक आपदा के विषय पर की चर्चा की, परन्तु यह स्पष्ट नहीं  की वह कब कितनी व,किस तरह से प्रदेश की मदद करेंगी।


स्मरण रहे कि पिछले वर्ष प्रदेश में आई ऐतिहासिक प्राकृतिक आपदा का आंकलन करने को केन्द्र की एक टीम ने दौरा किया था जिसके पश्चात केन्द्र सरकार ने नाममात्र वित्तिय मदद दी थी, जबकि प्रदेश की कांग्रेस सरकार द्वारा प्रस्तुत आंकलन रिपोर्ट में इसे प्राकृतिक आपदा घोषित करने का आग्रह किया था तथा नौ हज़ार करोड़ रुपए की सरकारी सम्पत्ति का नुक़सान होने की रिपोर्ट भी केन्द्र के समक्ष रखी थी। परन्तु केन्द्र ने न तो इसे राष्ट्रीय आपदा माना। https://tatkalsamachar.com/mandi-news-chief-justice/ यहां के तत्कालीन तीनों भाजपा के लोकसभा सांसद भी अपने प्रदेश के लिए कोई वित्तीय सहायता लाने में गम्भीर दिखे। जबकि उत्तराखंड जैसे भाजपा शासित राज्य को केन्द्र सरकार ने प्रयाप्त वित्तीय सहायता की थी। छोटे से पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश के साथ केन्द्र का सौतेला दोहरा रवैया निश्चय ही निन्दनीय है इस केन्द्रीय बजट ने हिमाचल प्रदेश के लाखों लोगों के हितों पर कुठाराघात किया है।


इस बार लोकसभा चुनावों में जबकि जनता ने चारों सीटों पर भाजपा के सांसदों को चुनकर भेजा है। आपदा से प्रभावित जनता उम्मीद करती है https://youtu.be/XOaoI4RocQE?si=FXXgTnYROJfZRQ60 कि भाजपा के चारों सांसद कम से कम इस बार केन्द्र सरकार को आपदा राहत रिपोर्ट के आंकलन अनुसार वित्त मंत्री से नौ हज़ार करोड़ रुपए की आपदा राहत राशि हिमाचल प्रदेश को शीघ्र ही दिलवाने का काम करेंगे।

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