वन भूमि के आस-पास के स्थायी निवासियों के व्यक्तिगत या सामुदायिक वन अधिकार तय करने के लिए जिला हमीरपुर में भी वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) के तहत आवश्यक प्रक्रिया आरंभ की जाएगी। इस संबंध में बुधवार को यहां बचत भवन में आयोजित उपमंडल स्तरीय कार्यशाला में उपस्थित राजस्व विभाग के कर्मचारियों और पंचायत सचिवों को संबोधित करते हुए एडीएम राहुल चौहान ने कहा कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में वन अधिकार समितियों (एफआरसी) के गठन की प्रक्रिया पूर्ण करवाएं। उन्होंने कहा कि अगर इन समितियों का गठन पहले किया जा चुका है तो इन्हें सक्रिय करें, ताकि स्थानीय निवासियों के वन अधिकारों को निर्धारित करने की प्रक्रिया को पूर्ण किया जा सके।
एडीएम ने कहा कि वन अधिकारों के निर्धारण से न केवल स्थानीय निवासियों को सुविधा होगी, बल्कि सरकार की विभिन्न विकासात्मक योजनाओं के क्रियान्वयन में भी तेजी आएगी। उन्होंने कहा कि वन भूमि पर विभिन्न विकासात्मक कार्य आरंभ करने के लिए बार-बार ग्राम सभाओं के अनापत्ति प्रमाण पत्रों की आवश्यकता नहीं रहेगी।
राहुल चौहान ने बताया कि एफआरए मंे बहुत ही सरल एवं स्पष्ट प्रावधान किए गए हैं और इसमें ग्राम सभाओं को विशेष शक्तियां प्रदान की गई हैं। इसके तहत स्थानीय लोगों के वन अधिकार तय करने की प्रक्रिया भी बहुत सरल है। एडीएम ने बताया कि वन अधिकार तय करने के लिए सर्वप्रथम संबंधित ग्राम पंचायत ग्राम सभा आयोजित करेगी और उसके बाद गांव या मुहाल स्तर पर एफआरसी का गठन करेगी। ये एफआरसी 90 दिनों के भीतर स्थानीय लोगों के व्यक्तिगत या सामुदायिक वन अधिकार के दावे प्राप्त करेंगी।
एफआरसी 90 दिन की अवधि के भीतर प्राप्त दावों की जांच-पड़ताल और सत्यापन करेंगी तथा साक्ष्य के आधार पर इनकी रिपोर्ट तैयार करके ग्राम सभा में पेश करेंगी।
ग्राम सभा इन रिपोर्टांे में स्वीकार हुए दावों के संबंध में प्रस्ताव पारित करके उपमंडल स्तरीय समिति को भेजेगी। एसडीएम की अध्यक्षता वाली उपमंडल स्तरीय समिति इन दावों का सत्यापन करके जिला स्तरीय समिति को भेजेगी। यदि उपमंडल स्तरीय समिति दावों को स्वीकार नहीं करती है तो लिखित कारणों के साथ संबंधित ग्राम सभा को पुनर्निरीक्षण के लिए भेजेगी।
उपमंडल स्तरीय समिति द्वारा स्वीकार एवं सत्यापित किए गए दावों पर जिला स्तरीय समिति पर विचार करेगी तथा स्वीकृत वन अधिकारों पर पट्टा (टाइटल) जारी करेगी। https://tatkalsamachar.com/mandi-news-chief-justice/ जिला स्तरीय समिति यदि दावों को अस्वीकार करती है तो इन्हें पुनर्विचार के लिए संबंधित उपमंडल स्तरीय समिति को भेजेगी।
एडीएम ने कहा कि इस प्रक्रिया को निर्धारित अवधि में पूर्ण करवाने में पंचायत सचिवों, राजस्व विभाग के फील्ड कर्मचारियों और पंचायत जनप्रतिनिधियों में आपसी समन्वय बहुत जरूरी है। https://youtu.be/XOaoI4RocQE?si=FXXgTnYROJfZRQ60 उन्होंने कहा कि ये सभी कर्मचारी और पंचायत प्रतिनिधि अपने-अपने क्षेत्रों में एफआरसी से संबंधित प्रक्रियाओं को अतिशीघ्र पूर्ण करवाएं।
कार्यशाला में एसडीएम मनीष कुमार सोनी, तहसीलदार सुभाष चंद, नायब तहसीलदार जगदीश चंद और मनजीत सिंह ने भी फील्ड कर्मचारियों का मार्गदर्शन किया।