जिला आयुष अधिकारी किन्नौर डॉ. इंदु शर्मा ने आज यहां बताया कि जिला जनजातीय आयुर्वैदिक अस्पताल रिकांग पिओ में विभिन्न चर्म रोगों का ईलाज आयुर्वैद चिकित्सा पद्धती द्वारा किया जा रहा है तथा हर माह लगभग 100-150 चर्म रोगियों का ईलाज किया जा रहा है।उन्होंने बताया कि एम.डी आयु (चर्म रोग) डॉ. कनिका नेगी आयुर्वैद द्वारा विभिन्न त्वचा विकार जैसे युवान पीडिका, दारूणक, रवालिव्य, पालिव्य, कदर, व्यङ, शिवत्र, इन्द्र लुप्त, पामा, विर्चिचका, कुष्ठ आदि रोगों का उपचार कर रही है।
डॉ. इंदु शर्मा ने जानकारी दी कि आयुर्वैद संहिताओं में चर्म रोग को विभिन्न क्षुद्ररोगों के अंतर्गत लिया गया है तथा इनकी चिकित्सा के लिए विभिन्न लघु शास्त्र कर्म बताए गए हैं जिसमें उत्सादन व विस्त्रावण कर्म मुख्यतः आधुनिक काल में माइक्रो नीडलिंग व पीआरपी थेरेपी से मिलते हैं। https://www.tatkalsamachar.com/public-works-department-c-m/ इन दोनों प्रक्रियाओं में लगभग 3-4 सिटिंग्स एक मरीज को दी जाती हैं तथा इनसे मरीजों को लाभ प्राप्त हो रहा है।इसके अलावा आयुर्वैद चिकित्सा सिद्धांतो में वर्णित लेप, रसायन, घृत, तेल, नस्य, एस औषधी द्वारा भी चर्म रोगों का ईलाज किया जाता है।
विशेषकर व्यङ, खालिव्य, पालिव्य में नस्य, पंचकर्म द्वारा विशेष लाभ मिल रहा है। आयुर्वैद में नासिका को शिर का द्वार भी माना जाता है। नस्य में रोगी को भी घृत द्वारा स्नेहन कर उनकी दोनो नासिकाओं में अणु तेल, नीम तेल, बाला तेल या भृगरांज तेल डाला जाता है।
इसके उपरान्त भाप दिया जाता है जिससे जत्रु से उपर का भाग स्गिंध हो जाता है। https://www.youtube.com/@tatkalsamachar9077/community जिला आयुष अधिकारी ने कहा कि आयुर्वैदिक चिकित्सा पद्धति से चर्म रोग के मरीजों को लाभ मिल रहा है तथा उन्होंने जिला के अन्य चर्म रोगियों से भी आग्रह किया कि वह आयुर्वैदिक चिकित्सा अपनाकर चर्म रोग को दूर करें।