| राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि राष्ट्रीय एकता देश के प्रति निष्ठा बंधुत्व की भावना है और यह विकास और प्रगति के लिए मार्गदर्शन करती है।राज्यपाल आज यहां भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान शिमला द्वारा आयोजित ‘एथिकल फाउंडेशन आॅफ नेशनलिज्म’ पर 7वें रवीन्द्रनाथ टैगोर मेमोरियल व्याख्यान की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि गुरूदेव रवींद्रनाथ टैगोर न केवल भारतीय लेखकों, कवियों और विचारकों के मार्गदर्शक थे, बल्कि एक दूरदर्शी व्यक्ति थे, उन्होंने भारत के उन्नत भविष्य की परिकल्पना की। पूर्वानुमान किया और राष्ट्र निर्माण के लिए उल्लेखनीय योगदान दिया। उन्होंने उच्च नैतिक मानकों, सभ्यता, विकास और दार्शनिक मानवतावाद की अग्रणी भावना का उदाहरण प्रस्तुत किया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय एकता का अर्थ लोगों के बीच एकजुटता है चाहे वे किसी भी धर्म, जाति और लिंग के हों। उन्होंने कहा कि यह एक देश में, समुदायों और समाज के प्रति एकता, भाईचारे और समानता की भावना है। राष्ट्रीय एकता विविधताओं के बावजूद भी देश को एकीकृत और मजबूत बनाए रखने में सहायक होती है। श्री दत्तात्रेय ने कहा कि ‘मैं मानता हूं कि राष्ट्रीय एकता की भावना हमेशा बनी रहनी चाहिए। यह केवल भाषण या आपातकाल के कारण उत्पन्न होने वाली स्थिति नही है, बल्कि आत्मा में एक जागृत भावना है, जो सदैव बनी रहनी चाहिए।’ राज्यपाल ने कहा कि राष्ट्र विभिन्न क्षेत्रों में आर्थिक, शैक्षणिक, भू-राजनीतिक प्रभाव, रक्षा, खेल, विज्ञान, आईटी और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में उन्नति कर रहा है। हमें विश्व के सबसे बड़े और सबसे जीवंत लोकतंत्र होने पर गर्व है, हमारा राष्ट्र विभिन्न धर्मों, जातियों, क्षेत्रों, संस्कृतियों और परम्पराओं से सम्बन्ध रखने वाले लगभग 133 करोड़ लोगों की विशाल विविधता का प्रतिनिधित्व करने वाला राष्ट्र है। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था के मौलिक तत्व मजबूत हैं। उन्होंने कहा कि भारत विश्व बैंक की ईज आॅफ डूईंग बिजनैस की रैंकिंग में 14वें, जबकि 190 देशों में 63वें स्थान पर आ गया है। श्री दत्तात्रेय ने कहा कि भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान शोध और उच्च प्रशिक्षण के लिए प्रमुख संस्थान है। उन्होंने कहा कि इस संस्थान ने कोरोना महामारी से उत्पन्न हुई शैक्षणिक गतिविधियों से सम्बन्धित चुनौतियों से प्रभावी तरीके से निपटा है। उन्होंने व्याख्यान के थीम के लिए संस्थान की सराहना की और कहा कि इससे न केवल सकारात्मक विचारों बल्कि हमारे राष्ट्र की निहित शक्ति के बारे में विचार उत्पन्न होते है। यह हमें न केवल वैभवपूर्ण अतीत का स्मरण करवाता है बल्कि इससे समृद्ध और खुशहाल भारत के निर्माण के लिए तत्पर रहने की प्रेरणा मिलती है। 7वें रबींद्रनाथ टैगोर मेमोरियल व्याख्यान में राम माधव ने कहा कि राष्ट्र और राष्ट्रीयता का भारतीय सिद्वांत सैकड़ों वर्ष पुराना है। उन्होंने पश्चिमी राष्ट्रवाद के सिद्धांत पर अपने विचार रखते हुए कहा कि उनके पास सैद्धांतिक स्पष्टता नहीं है। उन्होंने कहा कि पश्चिम में राष्ट्रीयता की अवधारणा दूसरों पर आधारित है। श्री माधव ने राष्ट्र की आवश्यकताओं पर भी चर्चा करते हुए कहा कि हमें अपनी संस्कृति या विरासत को याद रखना चाहिए, जिसके आधार को हमने जीने के लिए अपनाया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र का निर्माण आत्मा के आधार पर हुआ है। उन्होंने राष्ट्रवाद के समक्ष चुनौतियों के बारे में भी बताया। इससे पहले, प्रो. मकरंद आर. परांजपे ने राज्यपाल तथा राम माधव का स्वागत करते हुए 7वें रबींद्रनाथ टैगोर मेमोरियल व्याख्यान के बारे में जानकारी दी। उन्होंने टैगोर के कार्यो पर ध्यान केंद्रित करते हुए कहा कि टैगोर ने राष्ट्र और मानवता के लिए असाधारण योगदान दिया है। उन्होंने राष्ट्रवाद को व्यापक तरीके से परिभाषित किया और स्थानीय स्वदेशी समाज पर बल दिया, जो उनके काम में झलकता है। |
नशे के विरुद्ध जंग में सभी से मांगा सहयोग, छात्राओं से की स्वयं को सशक्त…
सत्ता में आते ही कांग्रेसनीत सुख की सरकार ने राज भवन को लगातार बनाया निशाना…
Reinforcing its commitment towards promoting preventive healthcare and women’s health awareness, Auckland House School for…
Auckland House School for Boys was buzzed with joy and laughter as the students celebrated…
। विद्युत उपमंडल-2 हमीरपुर में 27 सितंबर को लोकल फीडर और मट्टनसिद्ध फीडर के इंटरलिंकिंग…