Bilaspur: Intoxication is a slow poison, leave it today: Dr. Prakash
मुख्य चिकित्सा अधिकारी बिलासपुर डाॅ0 प्रकाश दडोच ने बताया कि युवा वर्ग बुरी संगत के प्रभाव व दबाव में आ कर या किन्ही अन्य कारणों से तम्बाकू, शराब, भांग, कोकेन, अफीम, हशीष, पैथाडीन, कांपोज व ब्राउन शुगर इत्यादि नशे शुरू कर देते हैं। उन्होंने बताया कि आरम्भ में मानसिक लुत्फ, अनुभव या झूठे सहारे के रूप में शुरू करते हैं, लेकिन बाद में शारीरिक निर्भरता वश छोड़ नहीं पाते और नशे के आदी हो जाते है।
रोक थामः
परिवार में मां-बाप किशोरों के सोने व जागने के समय पर ध्यान रखंे, बच्चों की पढ़ाई में रूची बरकरार है या नहीं, अधिक समय टाॅयलेट में तो नहीं बिता रहें, स्कूल से गैर हाजर तो नहीं रह रहे, बैग व जेब में आपतिजनक व नशा सहायक सामग्री तो नहीं मिल रही, बच्चों के दोस्त किस तरह के हैं इन पर लगातार नजर रखना अति आवश्यक है।
उपचारः
उन्होंने बताया कि नशे पर निर्भरता पा चुके व्यक्तियों की पहचान कर उन्हें नशे से आए विषकारी प्रभाव से मुक्ति दिलाने के लिए नजदीकी नशामुक्ति केन्द्र व अस्पताल में दाखला जरूरी है। नशा छोड़ने पर आए दर्द, बेचैनी जैसे लक्षणों का दर्द निवारक से उपचार तथा नशा मुक्ति उपरांत लगातार परामर्श, बूरी संगत, स्थान व परिवार व समाज के उनके प्रति साकारात्मक व्यवहार व व्यक्ति का काम में पुर्नस्थापन नशे की आदत को दोबारा आने से रोकने में सहायक हैं। उन्होंने बताया कि घृणा नशे से करें, व्यक्ति से नहीं।
उन्होंने बताया कि जिला अस्पताल बिलासपुर में कमरा नंबर 308 में नशे के आदी हुए व्यक्तियों को नशे से छुटकारा दिलाने हेतू मनोवैज्ञानिक तरीके परामर्श तथा उपचार किया जाता है। उपचार के बाद रोगी पूरी तरह से ठीक हो जाता है।
नशे के विरुद्ध जंग में सभी से मांगा सहयोग, छात्राओं से की स्वयं को सशक्त…
सत्ता में आते ही कांग्रेसनीत सुख की सरकार ने राज भवन को लगातार बनाया निशाना…
Reinforcing its commitment towards promoting preventive healthcare and women’s health awareness, Auckland House School for…
Auckland House School for Boys was buzzed with joy and laughter as the students celebrated…
। विद्युत उपमंडल-2 हमीरपुर में 27 सितंबर को लोकल फीडर और मट्टनसिद्ध फीडर के इंटरलिंकिंग…