
कोरोना काल ने 360 सालों के इतिहास को बदल कर रख दिया है।विश्व विख्यात कुल्लू दशहरा में 360 सालों के इतिहास में पहली बार मात्र 11 देवी- देवताओं ने भाग लिया है। 2020 के दशहरा को जिला कुल्लू के साथ प्रदेश व देश के लोग कई सदियों तक याद रखेंगे। कुल्लू दशहरा उत्सव का आयोजन 1660 से किया जा रहा है।दशहरा में देव परपंरा को निभाने के लिए मात्र सात देवी देवताओं को बुलाया गया था। जबकि दशहरा में 11 देवी देवता शामिल हुए। भले ही दशहरा में देवी देवताओं को निमंत्रण देने की परंपरा 1960 के बाद और नजराना देने का दौर शुरू हुआ।
मगर इसे पहले भगवान रघुनाथ की तरफ से बुलावा दिया जाता था। बताया जा रहा है कि 1660 के बाद ढालपुर में शुरू हुए दशहरा उत्सव के बाद से उत्सव में 300 या अधिक देवी देवता भाग लेते आए हैं।इस साल दशहरा में बंजार के साथ आनी व निरमंड क्षेत्र से एक भी देवी-देवता ने भाग नहीं लिया है।
जिला देवी-देवता कारदार संघ के पूर्व जिला अध्यक्ष दोत राम ठाकुर ने कहा कि अंग्रेजो के समय में भी देव पंरपरा को नहीं छेड़ा गया और सैकड़ों की संख्या में देवी देवताओं की भागीदारी रही है। उन्होंने कहा कि ढालपुर में जब से दशहरा का आयोजन होता आया है, तब से लेकर इस बार मात्र 11 देवी देवताओं ने भाग लिया है।