भारत-चीन विवाद के बीच अब भूटान की हो रही है चर्चा. जाने क्यों ?

0
7

लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन की सेना के बीच हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिकों की मौत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के कूटनीतिक कामकाज को लेकर लगातार चर्चा हो रही है.

बीते कुछ दिनों के दरम्यान पड़ोसी मुल्कों के साथ भारत के रिश्तों में थोड़ी कड़वाहट देखने को मिली है. बात चाहे बांग्लादेश की हो या नेपाल की. भारत के संदर्भ में इन पड़ोसी देशों की जो प्रतिक्रियाएँ बीते दिनों आई हैं उससे कूटनीतिक रिश्ते असहज हुए हैं.

अब इन देशों में नया नाम भूटान का जुड़ा है. बीते कुछ दिनों से भूटान का नाम काफी चर्चा में है.

हाल ही में भूटान की सीमा से सटे असम के बाक्सा ज़िले में सैकड़ों किसानों ने अपनी नाराज़गी जताते हुए भूटान के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन किया था. इन नाराज़ किसानों का आरोप था कि भूटान ने सीमा पार काला नदी से सिंचाई के लिए मिलने वाले पानी के प्रवाह को रोक दिया था.

जब भारतीय मीडिया में यह ख़बर सुर्खियों में बनी तो भूटान के विदेश मंत्रालय को सामने आकर मामले में अपना पक्ष रखना पड़ा.

भूटान के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में स्थित समड्रोप जोंगखार शहर भारत के असम की सीमा से सटा है. भूटान की इस सीमा के पास असम की तरफ दरंगा, बोगाजुली, ब्रहमपाड़ा जैसे कुल 26 गांव हैं जहां की लगभग पूरी आबादी कृषि पर निर्भर है.

डाउनस्ट्रीम की तरफ़ बसे ये गांव दरअसल काफी पिछड़े हुए हैं. यहां के लोग सालों से भूटान की तरफ़ से आने वाली काला नदी के पानी से खेती करते आ रहे हैं. लेकिन इस साल जब खेती करने के लिए पानी समय पर नहीं मिला तो किसानों ने भूटान पर काला नदी के पानी के बहाव को सिंचाई चैनलों (बड़े नाले) तक रोकने का आरोप लगाया.

गांव के लोगों का दावा है कि वे 1951 से ही काला नदी के पानी से खेती करते आ रहे हैं और इतने सालों में उन्हें कभी कोई असुविधा नहीं हुई.

अब जब उन्हें अपनी खेतों में पानी नहीं मिलने की असुविधा का सामना करना पड़ा तो किसानों की सालों पहले बनाई गई कालीपुर बोगाजुली काला नदी आंचलिक बांध कमेटी ने अपनी मांग को लेकर 22 जून को धरना दिया.

Share this News

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here