जब भारत लद्दाख में चीन के साथ हुई हिंसक झड़प के बाद विवाद सुलझाने में व्यस्त है तो पाकिस्तान इसे बांग्लादेश में मौके के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है. पिछले दिनों ढाका में एक ऐसी बैठक हुई जिसे लेकर कहा जा रहा है कि यह भारत की पूर्वी सीमा पर बनी यथास्थिति को बदलने की क्षमता रखती है.
ढाका में पाकिस्तान के उच्चायुक्त इमरान अहमद सिद्दीकी ने दो सप्ताह पहले बांग्लादेश के विदेश मंत्री ए. के. अब्दुल मोमेन से मुलाकात की. पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच इस तरह की बैठक होना सामान्य बात नहीं है. ढाका के एक वरिष्ठ पत्रकार ने तुर्की की एनाडोलु न्यूज एजेंसी से कहा कि पहले पाकिस्तानी राजदूत कुछ मौकों पर ही हमारे वरिष्ठ अधिकारियों से मिलते थे और वो भी तब जब बांग्लादेश किसी मुद्दे पर विरोध दर्ज कराने के लिए उन्हें समन करता था.
बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने इस मुलाकात को लेकर कोई बयान जारी नहीं किया है. वहीं, पाकिस्तान के उच्चायुक्त ने ट्विटर पर एक तस्वीर शेयर की और कहा कि उन्हें दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में सुधार की उम्मीद है. वहीं, बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने एनाडोलु एजेंसी से कहा कि ये एक सामान्य मुलाकात थी. पाकिस्तान के उच्चायुक्त काफी लंबे वक्त से इस बैठक की मांग कर रहे थे.
हालांकि, पाकिस्तान-बांग्लादेश के बीच जिस वक्त में ये बैठक हुई है, वो बिल्कुल भी सामान्य नहीं है. एक तरफ, भारत कोरोना वायरस की महामारी से जूझ रहा है तो दूसरी तरफ, चीन, श्रीलंका और नेपाल जैसे पड़ोसी देशों के साथ संबंध तनावपूर्ण चल रहे हैं. शेख हसीना के नेतृत्व में बांग्लादेश भारत के लिए भरोसेमंद दोस्त रहा है लेकिन चीन और पाकिस्तान यहां भी खामोशी से अपने कदम आगे बढ़ाने की फिराक में हैं.
पिछले कुछ महीनों से ढाका और बीजिंग की भी नजदीकियां बढ़ी हैं. चीन ने बांग्लादेशी उत्पादों को ड्यूटी फ्री कर दिया और वहां इन्फ्रास्ट्रक्चर के कई प्रोजेक्ट में भी निवेश कर रहा है. चीन बांग्लादेश को कोरोना वायरस की लड़ाई में भी मेडिकल आपूर्ति के जरिए मदद कर रहा है. बांग्लादेश चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना बेल्ट एंड रोड में भी शामिल हो चुका है जबकि भारत इसका विरोध करता रहा है. यहां तक कि भारत और चीन के बीच जब लद्दाख में हिंसक झड़प हुई तो बांग्लादेश की तरफ से कोई बयान जारी नहीं किया गया. बांग्लादेश ने हिंसक संघर्ष में मारे गए भारतीय जवानों को लेकर संवेदना तक नहीं जताई थी.
कुछ विश्लेषकों का कहना है कि अब पाकिस्तान भी बांग्लादेश में कूटनीतिक तौर पर ज्यादा सक्रिय नजर आ रहा है और ढाका में चीजें तेजी से बदलती नजर आ रही हैं. जनवरी महीने में सिद्दीकी बांग्लादेश में पाकिस्तानी उच्चायुक्त के पद पर नियुक्त हुए थे. यह पद करीब 20 महीनों तक खाली ही पड़ा था क्योंकि बांग्लादेश प्रशासन ने पाकिस्तान की ओर से नामित किए गए सैयद सैकलिन की नियुक्ति को मंजूरी नहीं दी थी. सिद्दीकी बांग्लादेश में पहले भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं. हालांकि, कुछ सूत्रों का कहना है कि बांग्लादेश को सिद्दीकी के नाम पर सहमति देना भी हैरान करने वाला ही था. सिद्दीकी जब से उच्चायुक्त बने हैं, तब से बांग्लादेश में पाकिस्तान ज्यादा सक्रिय हो गया है.