नई दिल्ली पूस की रात अपनी सर्दी के लिए जानी जाती हैं। लेकिन इस बार रातों के साथ दिन भी सर्दी का रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं। जनजीवन सिकुड़ गया है। अलबत्ता तो घर में ही ठंड लग रही है, ऐसे में बहुत जरूरी होने पर ही लोग बाहर निकल रहे हैं। दो लोगों के मिलने पर बातचीत की शुरुआत सर्दी के प्रकोप से ही हो रही है। सोशल मीडिया पर भी इसकी ही चर्चाएं छिड़ी हुई हैं। ऐसे में इस बार कई सालों का रिकॉर्ड तोड़ रही सर्दी की वजहों पर पेश है एक नजर:
10 डिग्री से नीचे तापमान अमूमन प्रति वर्ष दिसंबर के दूसरे सप्ताह से जनवरी के दूसरे सप्ताह तक उत्तर एवं उत्तर पश्चिमी भारत में कड़ाके की ठंड पड़ती है। कुछ स्थानों पर तापमान दो से 4 डिग्री तक गिर जाता है। पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और पश्चिमी यूपी में दिसंबर महीने में अधिकतम तापमान 16 से 18 डिग्री से अधिक नहीं पहुंचता। दिल्ली, उत्तरी राजस्थान का तापमान इस महीने में 20 से 22 के आसपास रहता है। लेकिन इस बार अधिकांश क्षेत्रों में तापमान 10 डिग्री से भी नीचे चला गया है।
कितनी सर्द है यह ठंड
सर्दी की तीव्रता तय करने के लिए मौसम विभाग के कुछ पैमाने हैं। दिन में जब अधिकतम तापमान सामान्य से कम से कम 4.5 डिग्री सेल्सियस कम हो तो उसे ठंडा दिन माना जाता है। लेकिन जब यह गिरावट कम से कम 6.5 डिग्री हो जाए तो इसे गंभीर सर्दी की स्थिति कहते हैं।
1901 के बाद इतनी सर्द रही दिल्ली
27 दिसंबर तक दिल्ली में औसत अधिकतम तापमान 20 से कम ही रहा। दिल्ली में 118 वर्षों का रिकार्ड टूट गया है। इतने दिनों में ऐसा चार बार ही हुआ है। मौसम विभाग का कहना है कि दिल्ली के लिए 1901 से अबतक का दूसरा सबसे ठंडा महीना दिसंबर है। 1901 के दिसंबर में यहां का अधिकतम औसत तापमान 17.3 था। दिल्ली में 14 से 27 दिसंबर के बीच लगातार 14 दिन काफी ठंडे रहे। 1997 के बाद से यह सबसे लंबी अवधि है। उस वर्ष लगातार 13 दिन शीतलहर की चपेट में रहे।