विकास दुबे ‘ कांग्रेस के सवाल, भाग रहा था तो पीठ की जगह सीने में गोली कैसे लगी

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कानपुर मुठभेड़ के मुख्य अभियुक्त विकास दुबे के मारे जाने पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने जो-जो दावे किये हैं, उन पर कई राजनेताओं ने सवाल खड़े किये हैं और यूपी पुलिस द्वारा बतायी गई कथित मुठभेड़ पर संदेह ज़ाहिर किया है.

कांग्रेस ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ़्रेंस करके विकास दुबे के कथित एनकाउंटर में मारे जाने की घटना पर सवाल खड़े किए.

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने सिलसिलेवार सवाल किए, “विकास दुबे कानपुर से एक हज़ार किलोमीटर दूर मध्य प्रदेश के उज्जैन कैसे पहुंच गया, वो संगठित अपराध का एक मोहरा मात्र था, संगठित अपराध के सरगना उत्तर प्रदेश में आख़िर कौन हैं, इसकी जांच होनी चाहिए.”

“यह एनकाउंटर कई सवाल खड़े कर गया है जिसका जवाब योगी आदित्यनाथ सरकार को देना होगा. पहला सवाल क्या वो सफ़ेदपोशों और शासन में बैठे लोगों का राज़दार था, उसे उनका संरक्षण प्राप्त था? दूसरा सवाल- विकास दुबे के पास वो क्या राज़ थे जो सत्ता और शासन के गठजोड़ को उजागर कर देते? तीसरा सवाल- विकास दुबे का नाम उत्तर प्रदेश के 25 मॉस्ट वांटेड लोगों की सूची में शामिल क्यों नहीं किया गया था.

सुरजेवाला ने कहा, “एनकाउंटर अपने आप में कई सवाल खड़े करता है, अगर उसे भागना ही था तो उसने फिर उज्जैन जाकर सरेंडर क्यों किया? एनकाउंटर से पहले मीडिया के साथियों को क्यों रोक दिया गया? चार्टर्ड प्लेन की जगह विकास दुबे को सड़क मार्ग से क्यों लाया गया? पहले विकास दुबे को एसटीएफ़ की सफ़ारी गाड़ी में देखा गया फिर उसे महिंद्रा टीयूवी 300 में कैसे शिफ़्ट कर दिया गया? विकास दुबे की टांग में लोहे की रोड होने के कारण वो लंगड़ाकर चलता था फिर वो यकायक भाग कैसे गया? विकास दुबे भाग रहा था तो पुलिस की गोली पीठ पर लगने की जगह छाती पर कैसे लगी? मीडियाकर्मियों को गाड़ी के गिरने के निशान क्यों नहीं नज़र आए?

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, “उनकी पार्टी की मांग है कि विकास दुबे के सरगनाओं को बेनकाब करके ही आठ शहीद पुलिसकर्मियों को असली न्याय मिल सकता है. विकास दुबे जैसा व्यक्ति जिसने आठ पुलिसकर्मियों की हत्या की थी उसे क़ानून फांसी से कम की सज़ा नहीं देता. क्या 21वीं सदी का भारत मध्यकालीन परंपराओं से चलेगा? क्या संवैधानिक मर्यादाओं की दिन-प्रतिदिन आतिशबाज़ी होगी? क्या कानून के पौरुष को चुनौती दे गई है? इस सज़ा की आड़ में कई राजनेता, आला अफ़सर, चोलाधारी, अपराधी की ज़ुबान बंद कर अपने राज़ सदा के लिए बंद कर गए.”

उधर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह ने सवाल पूछा है कि विकास दुबे का मध्य प्रदेश से क्या कनेक्शन था, जहाँ गुरुवार को पुलिस ने छह दिनों के अभियान के बाद दुबे को अपनी गिरफ़्त में लिया.

दिग्विजय सिंह ने ट्वीट किया, ”यह पता लगाना आवश्यक है कि विकास दुबे ने मध्यप्रदेश के उज्जैन महाकाल मंदिर को सरेंडर के लिए क्यों चुना? मध्यप्रदेश के कौन से प्रभावशाली व्यक्ति के भरोसे वो यहाँ उत्तर प्रदेश पुलिस के एनकाउंटर से बचने आया था?”

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने विकास दुबे की मौत पर एक ट्वीट किया है जिसमें लिखा है, “दरअसल ये कार नहीं पलटी है, राज़ खुलने से सरकार पलटने से बचाई गयी है.”

उत्तर प्रदेश पुलिस ने दावा किया है कि ‘कानपुर लाये जाते समय पुलिस के काफ़िले की एक गाड़ी पलटने पर गैंगस्टर विकास दुबे ने मौक़े से भागने की कोशिश की जिसके बाद मुठभेड़ में विकास की मौत हो गई.’

गुरुवार दोपहर बाद विकास दुबे की मध्य प्रदेश के उज्जैन से गिरफ़्तारी दिखाई गई थी जिसके बाद उत्तर प्रदेश पुलिस की एक टीम उन्हें उज्जैन से कानपुर लेकर लौट रही थी.

पुलिस ने बताया कि ‘प्रदेश की स्पेशल टास्क फ़ोर्स विकास को उज्जैन से सड़क के रास्ते कानपुर लेकर जा रही थी जब गाड़ी पलट गई. अभियुक्त ने भागने की कोशिश की तो पुलिस को गोली चलानी पड़ी.’

कानपुर रेंज के आईजी मोहित अग्रवाल ने विकास दुबे के मारे जाने की पुष्टि की है.

उन्होंने कहा है कि चार पुलिस कर्मी भी घायल हुए हैं जिनका कानपुर के सीएचसी अस्पताल (कम्युनिटी हेल्थ सेन्टर या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र) में इलाज चल रहा है.

यूपी पुलिस ने बताया है कि घटना का पूरा ब्यौरा देने के लिए पुलिस प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगी और इस बारे में विस्तार से बताया जाएगा.

विकास दुबे की मौत पर यूपी पुलिस जो दावा कर रही है, उसपर अन्य दलों के नेताओं की भी टिप्पणी आने लगी है.

कांग्रेस पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया है, ‘अपराधी का अंत हो गया, अपराध और उसको सरंक्षण देने वाले लोगों का क्या?’

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