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कहते हैं कि भावनाएं हमारी सबसे बड़ी ताकत है और सबसे बड़ी कमजोरी भी, अगर हम इसे काबू नहीं कर पाते, तो हमारे लिए इससे बड़ी रुकावट कोई नहीं है, वहीं अगर हम भावनाओं को नियंत्रित करके अपने कर्मों पर ध्यान देते हैं, तो यह हमारी ताकत बन जाती हैं। श्रीमदभगवत गीता में जीवन के कुछ ऐसे पहलुओं का उल्लेख किया गया है, जिनपर ध्यान देकर आप जीवन की कई चुनौतियों का सामना कर सकते हैं-
गुस्से पर काबू
‘क्रोध से भ्रम पैदा होता है।भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है। जब बुद्धि व्यग्र होती है तब तर्क नष्ट हो जाता है। जब तर्क नष्ट होता है तब व्यक्ति का पतन हो जाता है।
देखने का नजरिया
जो ज्ञानी व्यक्ति ज्ञान और कर्म को एक रूप में देखता है, उसी का नजरिया सही है।
मन पर नियंत्रण
जो मन को नियंत्रित नहीं करते उनके लिए वह शत्रु के समान कार्य करता है।
खुद का आकलन
आत्म-ज्ञान की तलवार से काटकर अपने ह्रदय से अज्ञान के संदेह को अलग कर दो। अनुशासित रहो, उठो।
खुद का निर्माण
मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है।जैसा वो विश्वास करता है वैसा वो बन जाता है।
हर काम का फल मिलता है
इस जीवन में ना कुछ खोता है ना व्यर्थ होता है।
प्रैक्टिस जरूरी
‘मन अशांत है और उसे नियंत्रित करना कठिन है, लेकिन अभ्यास से इसे वश में किया जा सकता है।.