SHIMLA : प्रदेश की महिलाओं और बेटियों को मिला लगभग 279 करोड़ की वित्तीय सहायता का लाभ

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    Women and daughters of the state got the benefit of financial assistance of about 279 crores

    महिला एवं बाल सशक्तिकरण किसी भी देश व प्रदेश के समावेशी, समतुल्य और दीर्घकालिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है। वर्तमान प्रदेश सरकार के लिए भी यह सदा से प्राथमिकता रही है। सरकार ने विभिन्न योजनाओं के माध्यम से महिलाओं के सामाजिक, शैक्षणिक, आर्थिक और राजनीतिक उत्थान के माध्यम से महिला सशक्तिकरण को सुनिश्चित किया है। जबकि सरकार द्वारा कार्यान्वित की जा रही योजनाएं जैसे बेटी है अनमोल योजना, मुख्यमंत्री कन्यादान योजना, मुख्यमंत्री शगुन योजना, विधवा पुनर्विवाह योजना, नारी सेवा सदन, गृहिणी सुविधा योजना तथा स्वावलंबन योजना आदि सुनिश्चित करती हैं कि राज्य में विशेष रूप से समाज के कमजोर वर्गों की बेटियों और महिलाओं को अनुकूल और सुरक्षित वातावरण प्राप्त होने के अलावा उनकी विशेष आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध हो। इस दिशा में सरकार ने कई कल्याणकारी योजनाएं न केवल शुरू कीं, बल्कि इन योजनाओं को सिरे चढ़ाने के लिए निरंतर प्रतिबद्धता से कार्य भी किया है। 

    राज्य सरकार ने बच्चियों का सही लालन-पालन, उन्हें आरामदेह परिवेश, महिलाओं को सभी प्रकार के भेदभाव से मुक्त सुगम व विश्वासयोग्य वातावरण, लैंगिक समानता और बाल केन्द्रित कानूनों, नीतियों एवं कार्यक्रम तैयार करने और एकरूपता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से निरंतर कार्य किया है। सरकार द्वारा चलाया गया ‘नारी को नमन’ कार्यक्रम महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक साकारात्मक पहल सिद्ध हो रहा है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत सभी महिलाओं को हिमाचल पथ परिवाहन निगम की बसों में किराये में 50 प्रतिशत की रियायत प्रदान की जा रही है। इस योजना से निगम की बसों में प्रति दिन यात्रा करने वाली लगभग 1.25 लाख महिलाओं को राहत मिल रही है। इस योजना के अंतर्गत प्रदेेश सरकार लगभग 60 करोड़ रुपये वार्षिक व्यय करेगी।

    इसके अलावा हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा शुरू की गई मुख्यमंत्री गृहिणी सुविधा योजना गरीब परिवारों और महिलाओं को सुविधाएं प्रदान करने में कारगर साबित हो रही है। इस योजना के अंतर्गत सरकार पात्र महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन, चूल्हा और सिलेंडर प्रदान कर रही है। इस योजना के सफल कार्यान्वयन से दिसंबर 2019 में हिमाचल देश का पहला एलपीजी सक्षम और चूल्हा धुआंमुक्त राज्य बन पाया। पिछले पांच वर्षों में सरकार द्वारा 134 करोड़ रुपयेhttps://www.tatkalsamachar.com/una-jagat-parkash/ व्यय कर 3.35 लाख पात्र लाभार्थियों को निःशुल्क गैस कनेक्शन उपलब्ध करवाए गए। अब सरकार इन महिलाओं को दो रिफिल की जगह तीन रिफिल निःशुल्क उपलब्ध करा रही है।

    सरकार ने लड़कियों के प्रति नकारात्मक सोच को बदलने, लड़की के विवाह की आयु को बढ़ाने तथा लड़कियों को सशक्त एवं आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से बेटी है अनमोल योजना शुरू की है। इस योजना के अंतर्गत गत लगभग पांच वषों के दौरान 40.86 करोड़ रुपये व्यय कर लगभग 21 हजार बच्चियों को जन्म उपरान्त अनुदान देने के अलावा 1,16,490 लाभार्थियों को छात्रवृतियां भी प्रदान की गईं। इस योजना में गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों में जन्मी दो बेटियों के बैंक या डाकघर में जन्म के पश्चात 21 हजार रुपये जमा कर दिये जाते हैं जोकि 18 वर्ष की आयु पूरी होने पर लड़की द्वारा आहरित किये जा सकते हैं। इसके अलावा सरकार ने मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के अन्तर्गत भी 8255 महिलाओं व लड़कियों जिनके पिता जीवित नहीं हैं तथा किसी गम्भीर बीमारी से ग्रस्त हैं और आजीविका कमाने में असमर्थ हैं, को विवाह हेतु अब तक लगभग 39.29 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की है। बी.पी.एल परिवारो से संबंधित लड़कियों को भी विवाह में मुख्यमंत्री शगुन योजना के अंतर्गत 31 हजार रुपये की धनराशि शगुन के रूप में दी जा रही है और अब तक 20.54 करोड़ रुपये व्यय कर लगभग सात हजार बेटियों को लाभान्वित किया है। विधवाओं के पुनर्विवाह को प्रेरित करने के उद्देश्य से भी सरकार द्वारा 50 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जा रही है। गत वर्षो में 448 विधवाओं को पुनर्विवाह के लिए 2.24 करोड़ रुपये की धनराशि वितरित की गई है।

    विवाह ही नहीं, बल्कि सरकार द्वारा गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली निःसहाय महिलाओं जिनकी वार्षिक आय 50 हजार रुपये से अधिक नहीं है, को भी उनके दो बच्चों को 18 वर्ष तक पालन पोषण के लिए मदर टेरेसा असहाय मातृ सम्बल योजना के तहत छः हजार रुपये प्रति बच्चा प्रति वर्ष की दर से आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है। इस योजना से अब तक 39.39 करोड़ रुपये व्यय कर लगभग 99,206 लड़कियों को लाभान्वित किया गया है। 

    प्रदेश सरकार द्वारा असहाय, निराश्रित एवं विधवा महिलाओं के लिए मशोबरा में नारी सेवा सदन भी संचालित किया जा रहा है। यहां पर आवासियों को निःशुल्क भोजन, आवास चिकित्सा संबंधी सुविधाएं आदि प्रदान की जाती हैं। सदन छोड़ने पर महिलाओं को 25 हजार रुपये की पुनर्वास सहायता दी जाती है। यदि कोई आवासी विवाह करती है तो उसे 51 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है। योजना के अन्तर्गत वर्तमान प्रदेश सरकार के कार्यकाल के दौरान 176 लाभार्थियों को 2.36 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता दी गई है।

    महिलाओं को आत्मनिर्भर तथा स्वावलंबी बनाने के लिए भी राज्य सरकार द्वारा विभिन्न योजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं और समय-समय पर इन योजनाओं को अमलीजामा पहनाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। कड़ी निगरानी के साथ फीडबैक हासिल कर योजनाओं को पात्र लाभार्थियों तक पहुंचाना भी सुनिश्चित किया जा रहा है। महिलाओं के उत्थान की दिशा में सरकार निरंतर गतिमान दिख रही है जो प्रदेश में महिला एवं बाल सशक्तिकरण के उज्ज्वल भविष्य, समावेशी समतुल्य और दीर्घकालिक विकास का संकेत है। सरकार द्वारा किए गए इन प्रयासों के साकारात्मक परिणाम अब धरातल पर दिखने लगे हैं और राज्य के हर वर्ग की बच्चियों व महिलाओं के लिए ये योजनाएं वरदान साबित हो रही हैं।

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