शिमला : भाषा एवं संस्कृति विभाग द्वारा ‘स्वर्णिम हिमाचल’ थीम पर आधारित ‘राजभाषा हिंदी पखवाड़ा

षा एवं संस्कृति विभाग  जिला शिमला हिमाचल प्रदेश द्वारा ‘स्वर्णिम हिमाचल’ थीम पर आधारित ‘राजभाषा हिंदी पखवाड़ा’-2021के अवसर पर आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों की कड़ी में  दिनांक 09 सितंबर (वीरवार)2021को  गेयटी प्रेक्षागृह  शिमला के  सम्मेलन कक्ष  में जिला स्तरीय लेखक गोष्ठी  एवम जिला स्तरीय कवि का आयोजन  करवाया ।

  वरिष्ठ  साहित्यकार ,रंगकर्मी ,सेवानिवृत आई ए एस अधिकारी श्रीयुत श्री निवास जोशी ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की तथा दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। दो सत्रों में  आयोजित  कार्यक्रम के प्रथम सत्र में जिला स्तरीय लेखक गोष्ठी की गई   जिसकी अध्यक्षता सेवानिवृत आईएएस अधिकारी एवम वरिष्ठ साहित्यकार के आर भारती ने  की तथा वरिष्ठ साहित्यकार सुदर्शन वशिष्ठ  ने ‘स्वाधीनता  संग्राम में हिमाचल के साहित्य की स्वर्णिम यात्रा’ विषय पर पत्र वाचन किया जिसमें उन्होंने  चंद्रवरदाई  से लेकर कांगड़ा किले, नूरपुर शासको के किस्से, झेड़ा गाथा गायन का वर्णन  । 

पहाड़ी गांधी बाबा कांशी राम के स्वाधीनता संग्राम में योगदान के साथ साथ  कांगड़ा क्षेत्र में लोक कवि के रूप मे  स्वाधीनता का अलख जगाने  के साथ साथ समाज मे व्याप्त         कुरीतियों के बारे मे भी पहाड़ी पंजाबी  मिश्रित काव्य लेखन कर समाज को संदेश दिया।       क्रांतिकारी साहित्यकार  की कामरेड पार्टी  मे राजनीतिक उपन्यास का भी उल्लेख किया तथा  स्वाधीनता आंदोलन में  लालचंद प्रार्थी, और पंडित पदम देव के योगदान का भी उल्लेख किया।

पत्र वाचन के बाद  डा०सत्य नारायण स्नेही,  एस आर हरनोट, आत्मा रंजन, केआर भारती ने कहा की हमारे प्रदेश  मे  1857से पहले भी बहुत सी गाथाएं  लिखी है तथा गाई भी   रही है। उन्होंने सत्यानंद स्टॉक्स  के गदर संदेश गदर गूंज  की बात भी कही तथा क्रांतिकारी साहित्यकार यशपाल की  विप्लव  व बागी उर्दू पत्रिका को भी   स्वाधीनता आंदोलन से जोड़ा। हिमाचल प्रदेश के  स्वाधीनता आंदोलन को  दोहरी लड़ाई  कहा जिसे प्रजामण्डल  आंदोलन ने गति दी  प्रजामण्डल के सह श्रीयुत श्रीनिवास जोशी ने परिचर्चा में भाग लेते  हुए अपना  कहा कि हिमाचल के स्वाधीनता संग्राम में प्रजामण्डल आंदोलन पझोता , धामी गोली कांड, सुकेत  आंदोलन को की भूमिका को देश  की स्वतंत्रता प्राप्ति मे अग्रणी कहा ।

लिया और इस विषय पर  अपना मत रखा।द्वितीय सत्र में  स्वर्णिम हिमाचल थीम पर आधारित कवि सम्मेलन  का आयोजन करवाया  गया। जिसकी अध्यक्षता  प्रतिष्ठित कहानीकार व साहित्यकार एस आर हरनोट ने कीकार्यक्रम का आगाज़   नवोदित कवि यादव चन्द शर्मा की इन पंक्तियों से हुआ कि हम अपनी हद  मे रहते हैं तथा जंगल  पीआर लिखी कविता से हुआ।  युवा   कवयित्री मोनिका ने पहाड़ के मेहतकश किसान  पर काव्य पाठ कर खुद तालियां बटोरी। , प्रांशु आदित्य ने मैं नहीं लिखूंगा और रंगमंच की बात अपनी कविता के माध्यम से कही। 

अवंतिका ने पर्यावरण के   अत्यधिक दोहन की वेदना को अपनी कविता के माध्यम से  पर्यावरण संरक्षण की बात कही। हर्ष ठाकुर ने धर्म के नाम पर देश मे हो रहे  गैरकानूनी   धंधों को आड़े हाथ लेते हुए  पाखंडवाद  पर कड़ा प्रहार किया। सर्वजीत कौर ने  जिंदगी के अनसुलझे सवालोपीआर  संवेदनशील कविता के माध्यम से अपनी बात रखी। पीयूष शर्मा स्वर्णिम हिमाचल पर अपनी कविता के माध्यम से कहा कि मेरा हिमाचल सबसे महान बना चुका है एक नई पहचान। प्रियंका शर्मा ने वर्षा के सुखद अनुभव   को अपनी कविता के माध्यम से  व्यक्त किया।  वेदप्रकाश शर्मा ने लोक जीवन व लोक संस्कृति पीआर आधारित  ठालका  यानि फटा पुराना कोट  पर  अपने पिता की स्मृतियों को ताज़ा किया।

 प्राची कौशल ने सीमा पर होने वाले जंग  पर अपनी बात रखी। हरीश तिलटा ने घरेलू चक्की  झांझो के माध्यम से  लोक जीवन  से जुड़े  परंपरागत   साधनों का आधुनिक  चकचोंध मे विलुप्त होने की पीड़ा को बयां किया। तथा वनों के अंधाधुंध कटान को कत्ल नाम से संबोधित किया।सीता राम शर्मा ने रिज मैदान को  बचाने के लिए कत्ल होने वाले पेड़ों की चिंता को व्यक्त किया। सत्या शर्मा ने स्वर्णिम हिमाचल पर रचित कविता में मैं हुं अतुल्य स्वर्णिम  हिमाचल   की उपस्थित कवियों ने खूब सराहना की।

 कल्पना गांगटा  ने हिमाचल के  सौंदर्य और संस्कृति का बखान  दोहों के माध्यम से किया जिन्हें खूब सराहा गया।  उमा ठाकुर  महासुवी बोली मे  स्वर्णिम हिमाचल को समर्पित शानदार काव्य पाठ कर  अपनी मातृ भाषा  को बचाए रखने की  चिंता की तरफ सबका किया  खींचा ।  रेखा ठाकुर ने  क्या सुना तूने नया समाचार कविता को मुंशी प्रेमचंद जी  को  समर्पित किया। तथा  आज  भारतंदु हरीश चंद जी की  जयंती पर आज  उन्हें उनका अपनी भाषा की के प्रति   आगाढ  प्रेम  मे निज उन्नति आहे सब उन्नति को मूल, बिन निज भाषा ज्ञान के ना मिटत हिएको शूल।। तथा कवि पाशको भी उनकी जयंती पर आज याद किया गया। गुलपाल वर्मा ने  प्यारा हिमाचल प्रदेश  सबसे प्यारा हिमाचल प्रदेश  पर तर्रन्नुम मे काव्य पाठ कर  खूब  दात  पाई।

  दीप्ति  सारस्वत ने  बेदलते मातृभाषा के स्वरूप पर मातृभाषा की दशा की व्यथा  को  व्यंग्यात्मक शैली में प्रस्तुत किया। रोशन लाल  पराशर  ने  रण बाकुरो को नमन करते हुए  हम सबका है प्यारा देश भारत  के माध्यम से देश  देशभक्ति को समर्पित शानदार काव्य पाठ किया। मीनू भास्कर ने मैं हुं हिन्दी अंग्रेजी बनाम हिंदी की व्यथा को व्यंग्यात्मक शैली में प्रस्तुत किया। माडू शर्मा ने भ्रमरगीत  के  द्वारा कृष्ण भक्ति भाव को व्यक्त किया। वीरेन्द्र शर्माने  आंसू   की बात को अपनी कविता में कहा। शिवेन ने  गांव के प्रशंसा करते हुए अपनी कविता में   शहर को नकार दिया। तथा  समाज द्वारा पिता  की पीड़ा न देखते हुए पिता पर रचित काव्य   को प्रस्तुत किया।रति राम शर्मा ने  जल जंगल की चिंता करते हुए विकास के नाम पर  सूली चढ़ने वाले पेड़ों की  वेदना को व्यक्त किया।

 डा० सत्य नारायण स्नेही  ने शहरों में बसते हुए लोग  तथा आधुनिक  मूल्यों पर अपनी कविता के माध्यम से  समाजको संदेश दिया। डा० संगीता  सारस्वत ने  स्वर्णिम हिमाचल मे प्रकृति के योगदान पर काव्य पाठ कर किन्नौर दर्शन  करवाए। के आर भारती ने  बदला मेरा गांव के यथार्थ को बयां करती हास्य कविता को प्रस्तुती दी। सुदर्शन वशिष्ठ ने किसानक्याहोता है को व्यंग्यात्मक शैली में  प्रस्तुतकर खुब हंसाया। आत्मरंजन ने  स्मार्ट लोगोके पास है  स्मार्ट भाषा  के माध्यम से भाषा के दुरुपयोग पर कडा कर खूब तालियां बटोरी।एस आर हरनोट ने   शब्द और संस्कृति पर अपना काव्य पाठ किया तथा इन दोनो के अस्तित्व को बचाए रखने पर बल दिया ।

उन्होंने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन  मे नवोदित  कवियों द्वारा प्रस्तुत रचनाओं   की सराहना की तथा  अपने शब्दकोश  मे  बढ़ोतरी करने के लिए   स्थापित साहित्यकारो की रचनाओं  तथा विभिन्न पत्र पत्रिकाओं  के  अध्ययन पर बल दिया।  मुख्याथिति ने   भी उपस्थित कवियों  को बेहतरीन काव्य पाठ के लिए उनकी पीठ  थपथपाई तथा विभाग को ऐसे आयोजन में  युवा रचनाकारों को मंच प्रदान कर  सफल  आयोजन की  खूब  प्रशंसा की। अंत में जिला भाषा अधिकारी शिमला अनिल हारटा ने कार्यक्रम मे उपस्थित  मुख्य अतिथि, व अन्य वरिष्ठ , नवोदित कवियों का धन्यवाद किया।

इस अवसर पर उप निदेशक  भाषा संस्कृत विभाग राजकुमार सकलानी, जिला भाषा अधिकारी शिमला अनिल हारटा, भाषा अधिकारी अमित गुलेरी, आदि   भी उपस्थित रहे।************************अनिल कुमार हारटा

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