उपायुक्त हेमराज बैरवा ने कहा है कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम का उद्देश्य अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के लोगों के अधिकारों की रक्षा करना तथा समाज में जाति के आधार पर भेदभाव एवं अत्याचारों का उन्मूलन करना है। वीरवार को अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत जिला स्तरीय सतर्कता एवं प्रबोधन समिति की त्रैमासिक बैठक की अध्यक्षता करते हुए उपायुक्त ने कहा कि इन वर्गों के लिए उक्त अधिनियम में कई विशेष प्रावधान किए गए हैं। इसलिए, इनसे संबंधित संवेदनशील मामलों की जांच एवं अभियोजन में अनावश्यक देरी नहीं होनी चाहिए।
जिला में अधिनियम के तहत दर्ज 99 मामलों की ताजा स्थिति पर जिला स्तरीय समिति ने व्यापक चर्चा की। उपायुक्त ने बताया कि इन 99 मामलों में से 26 मामले विभिन्न अदालतों में विचाराधीन हैं, जबकि 28 मामलों की अभी पुलिस जांच चल रही है। जांच के बाद 40 मामलों की कैंसलेशन रिपोर्ट तैयार करने की प्रक्रिया न्यायालयों में विचाराधीन है। 5 मामलों की कैंसलेशन रिपोर्ट तैयार कर ली गई है।
उपायुक्त ने पुलिस अधिकारियों से कहा कि वे लंबित मामलों की जांच और चालान पेश करने की प्रक्रिया को प्राथमिकता के आधार पर तेजी से पूरा करें https://www.tatkalsamachar.com/shimla-news-7/। उन्होंने अभियोजन विभाग के अधिकारियों को भी अदालतों से संबंधित सभी प्रक्रियाओं को पूर्ण करने के निर्देश दिए। उपायुक्त ने कहा कि अगर उच्च न्यायालय में कोई मामला विचाराधीन है तो उस संबंध में एडवोकेट जनरल कार्यालय के साथ समन्वय स्थापित करें। उन्होंने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे पीडि़तों को नियमानुसार राहत राशि तुरंत जारी करें।
इस अवसर पर समिति के सदस्य सचिव एवं जिला कल्याण अधिकारी राकेश पुरी ने विभिन्न मामलों का विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत किया।
बैठक https://youtu.be/JXjqMDI5Sak?si=xbBUgxLvqlSD0Akf में एसपी डॉ. आकृति शर्मा, जिला न्यायवादी संदीप अग्निहोत्री, एएसपी अशोक वर्मा, जिला राजस्व अधिकारी जसपाल सिंह, डीएसपी रोहिन डोगरा, सुनील दत्त ठाकुर और लालमन शर्मा, जिला स्तरीय समिति के अन्य सरकारी एवं गैर सरकारी सदस्यों ने भी महत्वपूर्ण सुझाव रखे।