असम में बाढ़ और कोरोना की दोहरी मार, राशन की क़िल्लत.

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करीब 15 दिनों से बाढ़ के पानी में फंसे हुए है. घर पर दो छोटे बच्चे हैं और बूढ़ी मां है. इस बीच प्रशासन ने एक बार प्रति व्यक्ति एक किलो चावल और 200 ग्राम दाल दी थी. उसके बाद हमारी सुध लेने कोई नहीं आया. आगे घर का राशन कैसे चलेगा, क्योंकि खेत तो पानी में डूबे हुए है.”

47 साल के मोहम्मद नयन अली बाढ़ से उत्पन्न अपनी परेशानी बताते हुए अचानक कुछ देर के लिए बिलकुल खामोश हो जाते है.

दरअसल इस समय असम के कुल 33 में से 27 जिले बाढ़ के पानी में डूबे हुए है. असम राज्य आपदा प्रबंधन विभाग की तरफ़ से गुरूवार शाम 7 बजे जारी की गई एक रिपोर्ट के अनुसार 3218 गांवों में बाढ़ का पानी घुस आने से 39 लाख 79 हजार 563 लोग प्रभावित हुए है. बरपेटा ज़िले में सबसे अधिक गांव बाढ़ की चपेट में आए है. इनमें मोहम्मद नयन अली का गांव सिधोनी भी एक है.

असम में हर साल बाढ़ के कारण जान-माल की भारी तबाही होती है. लेकिन जटिल सरकारी प्रक्रियाओं के तहत जबतक बाढ़ के नुकसान का आंकलन होता है तबतक प्रदेश में अगली बाढ़ आ जाती है. लिहाजा लोग तटबंध निर्माण तथा अन्य मरम्मत के काम को लेकर हमेशा सरकार पर सवाल उठाते है.

मोहम्मद नयन अली भी बाढ़ की रोकथाम के लिए मौजूद सरकारी योजनाओं को समय पर लागू नहीं करने का मुद्दा उठाते हुए कहते है, “इस गांव में बसे हमारे परिवार को सौ साल से ज्यादा हो गया है. हमारे पास 1919 का अस्थाई ज़मीनी पट्टा है. मैं बचपन से बाढ़ का क़हर देखते आ रहा हूं. लेकिन पहले चार-पांच सालों में एक बार भयंकर बाढ़ आती थी. लेकिन अब प्रत्येक साल बाढ़ की भारी तबाही झेलनी पड़ रही है.”

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