भारत के कृषि, ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बीबीसी के साथ बातचीत में कहा है कि लॉकडाउन के दौरान पैदल ही या साइकिलों पर अपने घरों की ओर निकलने वाले श्रमिक भाई थोड़े अधीर हो गए थे.
नरेंद्र तोमर का मानना है कि प्रवासी मज़दूरों को कुछ इंतज़ार करना चाहिए था.
जब उनसे पूछा गया कि पहले चरण का लॉकडाउन घोषित करते वक़्त सरकार को प्रवासी संकट का अंदाज़ा हो जाना चाहिए था और क्या सरकार में इस पर चर्चा हुई है तो उन्होंने कहा, “सरकार को हमेशा से पता था और सरकार को पूरी जानकारी है कि बेहतर आर्थिक परिस्थितियों के लिए लोग एक इलाक़े से दूसरे इलाक़े मे जाते हैं. ये स्वभाविक है कि जब लॉकडाउन की स्थिति होगी तो लोग असुरक्षित महसूस करेंगे और अपने घर जाना चाहेंगे. और ऐसा ही हुआ.”
लेकिन क्या जिस तादाद में लोगों की मौत हुई और जितनी परेशानियां उन्हें उठानी पड़ी यह इस बात का सबूत नहीं है कि योजना बनाने और उसे लागू करने में कमियां रहीं?