बिल्डर ने आदेश जारी होने से पूर्व शिकायतकर्ता फ्लैट क्रेता को राशि वापिस की

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रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (रेरा) हिमाचल प्रदेश के एक प्रवक्ता ने आज यहां बताया कि प्राधिकरण को विभिन्न शिकायतकर्ताओं से मैसर्ज राजदीप एंड कम्पनी इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड व अन्य के खिलाफ 12 शिकायतें प्राप्त हुई थीं। इस प्रोमोटर के खिलाफ प्राप्त 12 शिकायतों में से 11 शिकायतों का निर्णय आवंटियों के पक्ष में किया गया और भराड़ी स्थित हिमालय रेजीडेंसी से सम्बन्धित एक अन्य शिकायत सुनवाई के लिए लम्बित है।

प्राधिकरण ने 11 मामलों का निर्णय मैरिट के आधार पर किया। प्राधिकरण ने आवंटियों द्वारा प्रोमोटर डेवेल्पर को अदा किए गए लगभग 2 करोड़ रुपये 9.3 प्रतिशत ब्याज के साथ वापिस करने के निर्देश दिए और रियल एस्टेट (विनियमन एवं विकास) अधिनियम, 2016 के तहत 31 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। अधिनियम के तहत दायित्व का निर्वहन नहीं करने के लिए यह राशि रेरा के खाते में जमा करवानी होगी और जुर्माना भरने में असफल रहने पर दोगुना राशि देनी पड़ेगी।

मैसर्ज राजदीप एंड कम्पनी इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड और अन्य के खिलाफ कांता जॉन धर्मपत्नी विलियम जॉन निवासी ऑकलैंड हाउस स्कूल द्वारा 8 लाख 71 हजार 680 रुपये रिफंड करने के लिए दायर शिकायत के मामले की सुनवाई 19 जनवरी, 2021 को निर्धारित की गई थी। इस दिन शिकायतकर्ता व परियोजना के ब्लॉक-डी में आवंटी कांता जॉन के अधिवक्ता ने अवगत करवाया कि प्रोमोटर ने कांता जॉन को उसके द्वारा अदा की गई राशि 8 लाख 71 हजार 680 रुपये व कुल ब्याज सहित 10 लाख रुपये अदा करने के लिए सौहार्दपूर्ण तरीके से समझौता कर लिया है। शिकायतकर्ता के अधिवक्ता ने इस मामले को हल करने के लिए रेरा द्वारा की गई पहल के लिए आभार व्यक्त किया। शिकायतकर्ता कांता जॉन ने दोनों पक्षों में सौहार्दपूर्ण तरीके से मामले का निराकरण होने और उसके बैंक खाते में 10 लाख रुपये प्राप्त होने पर यह मामला वापिस लेने के लिए आवेदन किया है, जो कि रेरा हिमाचल प्रदेश ने स्वीकार कर लिया है।

रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण हिमाचल प्रदेश ने दोनों पक्षों द्वारा इस मामले को सौहार्दपूर्ण तरीके से हल करने लिए किए गए प्रयासों की सराहना की। प्राधिकरण ने प्रसन्नता व संतोष व्यक्त किया कि प्रोमोटर अब आदेश जारी होने से पहले आवंटियों की शिकायतों को हल करने में रूचि दिखा रहे हैं। कांता जॉन बनाम राजदीप एंड कम्पनी व अन्य के मामले में आदेश प्राधिकरण की वैबसाइट पर अपलोड कर दिए गए हैं।

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