भारत के अलग-अलग हिस्सों में नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर बीते दो सप्ताह से लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.
सत्तारूढ़ बीजेपी का दावा है कि इस क़ानून के ज़रिए तीन पड़ोसी देशों पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बांग्लादेश से ग़ैर-मुसलमान अवैध प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने के लिए नियमों में ढील देने का प्रावधान है.
अब तक इसे लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शनों में हिंसा के कारण 20 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है जबकि सैकड़ों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. इनमें से अधिकतर मौतें और गिरफ्तारियां उत्तर प्रदेश में हुई हैं.
यूपी पुलिस पर प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ अधिक ताक़त के इस्तेमाल और मुसलमानों के घरों में तोड़ फोड़ करने के आरोप लगाए जा रहे हैं.
कानपुर में हुए विरोध प्रदर्शन में एक पुलिसकर्मी प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाते हुए देखे जा सकते हैं. वहीं मुज़फ़्फजरनगर में हुए विरोध प्रदर्शन से जुड़े एक वीडियो में पुलिस प्रदर्शनकारियों पर लाठियां बरसाती नज़र आ रही है. एक वीडियो में देखा जा सकता है कि पुलिसकर्मी वृद्ध व्यक्ति को भी पीट रहे हैं.
मेरठ में पुलिसकर्मी मुसलमान समुदाय में दुकानों पर लगे सीसीटीवी कैमरे तोड़ते नज़र आ रहे हैं.
नए नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों से जुड़े वीडियोज़ प्रदेश में मुसलमान प्रदर्शनकारियों के साथ पुलिस के व्यवहार को लेकर गंभीर सवाल उठाते हैं.
अब तक प्रदेश में 19 लोगों की मौतें हुई हैं और ये सभी आम नागरिक हैं. इनमें से अधिकतर की मौत गोली लगने से हुई है. 28 साल के मोहम्मद मोहसिन की मौत सीने पर गोली लगने से हुई है.
मोहसिन की मां नफ़ीसा परवीन कहती हैं कि मोहसिन विरोध प्रदर्शनों का हिस्सा नहीं था. वो कहती हैं कि वो पशुओं के लिए चारा ख़रीदने के लिए घर से बाहर निकला था लेकिन लौटा नहीं.
मोहसिन एक नन्ही सी जान के पिता भी हैं. उनकी मां कहती हैं, “हमें कुछ नहीं पता. हमें बस इंसाफ़ दे दो. पुलिस ने उसे मार दिया. उसके बाद अब उसके बच्चे का ध्यान कौन रखेगा.”
पहले यूपी पुलिस का कहना था कि उनकी तरफ़ से कोई भी गोली नहीं चली. पुलिस का दावा था कि प्रदर्शनकारियों में कुछ ऐसे लोग थे जिनके पास बंदूकें थीं. हालांकि बाद में यूपी पुलिस ने माना कि उनकी तरफ़ से भी गोलियां चलीं.
पुलिस ने रात के अंधेरे में उनके घर में घुसकर तोड़फोड़ की.
हर कमरे का मंज़र कुछ ऐसा था कि कल्पना करना भी मुश्किल था कि ये तबाही तूफ़ान से नहीं हुई. हुमायरा परवीन कहती हैं कि कमरे में रखी अलमारी में गहने और पैसे थे जो रात में ही लूट लिए गए.
वो कहती हैं कि उनका घर कई पुलिसकर्मी आए थे और उनके साथ सादे कपड़ों में भी कुछ लोग थे.
वो कहती हैं, “हमारे सामान में कुछ गहने थे और टिन में पैसे रखे थे, अब सब चोरी हो चुका है. उनके साथ सादे कपड़ों में जो लोग थे उन्होंने हमें कमरे से बाहर जाने के लिए कहा. उन्होंने कहा कि हमारा घर जल्दी उनका हो जाएगा, हम देश छोड़ कर चले जाएं.” हुमायरा पूछती हैं, “क्या हुआ अगर हम मुसलमान हैं, क्या हमारे पास हिंदुस्तान में रहने का कोई हक नहीं है?”
कईयों का कहना है कि पुलिस का व्यवहार और नया क़ानून दोनों ही – सत्ताधारी पार्टी के हिंदू राष्ट्रवादी एजेंडे का हिस्सा हैं.
सरकार का कहना है कि नागरिकता संशोधन क़ानून से देश में रह रहे मुसलमानों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. सरकार हिंसा करने का आरोप प्रदर्शनकारियों पर लगा रही है. बीजेपी नेता और मुज़फ़्फजरनगर से सांसद संजीव बालयान कहते हैं, “पचास हज़ार लोग थे. शायद भारत में पचास हज़ार कहीं इकट्ठा नहीं हुए थे. जो मोटरसाइकल सामने आई उसमें आग लगा दी गईं. पथराव ज़बर्दस्त हुआ था, मैं वहां मौक़े पर मौजूद था “पुलिस पहले ही स्पष्ट कर चुकी है, मैं भी स्पष्ट कर चुका हूं, कि धरना प्रदर्शन में शामिल लोगों के ख़िलाफ़ क़दम नहीं उठाए जाएंगे लेकिन जिन लोगों ने पथराव किया, सरकारी संपत्ति को नुक़सान किया, गाड़ियां जलाई और गोलियां चलाई – और जिन लोगों के वीडियो हैं सिर्फ उन लोगों के ख़िलाफ़ कदम उठाए जाएंगे, वो लोग नहीं बचेंगे.”
बीते कुछ दिनों में प्रदेश में विरोध प्रदर्शनों के बाद जो कुछ देखने को मिला है उसके बाद अब वहां का मुसलमान समुदाय देश में अपने भविष्य को लेकर चिंतित है.
सरकार इन चिंताओं को दूर करने के लिए सोशल मीडिया पर नागरिकता संशोधन क़ानून से संबंधित जानकारी देने की कोशिश कर रही है.
लेकिन इस क़ानून के लागू होने से पहले जिस तरह के आरोप सरकार और पुलिस प्रशासन पर लग रहे हैं उससे इस बात का संकेत तो मिलता ही है कि इस क़ानून का असर ज़मीनी स्तर पर दिखने लगा है.
अब देश में धर्म को लेकर ध्रुवीकरण बढ़ रहा है और और भी गहरे पैठ रहा है. प्रदेश के कई इलाके अब डर के साए में हैं और लोगों का ग़ुस्सा भी भीतर ही भीतर बढ़ रहा है.