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सार
- भारतीय वायुसेना से रिटायर हुआ मिग 27
- साल 1985 में वायुसेना में हुआ था शामिल
- चार हजार किलोग्राम तक के हथियार ले जाने में था सक्षम
- 1700 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से भर सकता था उड़ान
- कारगिल युद्ध में सक्रिय योगदान को देखते हुए नाम मिला ‘बहादुर”
- पाकिस्तान डर कर इसे ‘चुड़ैल’ के नाम से पुकारता था
विस्तार
साल 1999, कारगिल की ऊंची चोटियों पर घात लगाकर बैठे पाक सैनिकों के यह अंदेशा नहीं था कि उनके ऊपर आसमान से भी हमला हो सकता है। भारतीय वायुसेना के मिग 27 लड़ाकू विमानों ने आसमान से पाक सैनिकों पर आग बरसाना शुरू कर दिया। वायुसेना के इस बहादुर ने पाक सेना के सप्लाई और पोस्ट पर इतनी सटीक और घातक बमबारी की जिससे उनके पांव उखड़ गए।1700 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार और हवा से जमीन पर अचूक हमला करने में सक्षम इस रूसी लड़ाकू विमान को कारगिल युद्ध में पराक्रम दिखाने के लिए बहादुर नाम दिया गया। इसका खौफ पाकिस्तान के दिलो दिमाग में ऐसा छा गया कि उसने चुड़ैल नाम दे डाला।
जब यह विमान जमीन की सतह के करीब उड़ान भरता था तब कोई भी रडार बड़ी मुश्किल से इसकी पहचान कर पाता था। इसकी आवाज दुश्मनों के दिलों में खौफ पैदा करती थी। हालांकि भारतीय वायुसेना में अपने 38 साल के सफर के दौरान इस लड़ाकू विमान ने कई उतार-चढ़ाव भी देखें हैं।
इस कारण भारतीय वायुसेना ने किया रिटायर
35 साल का सफर आज हुआ खत्म
भारतीय वायु सेना के बेड़े में 1985 में शामिल किए गए ‘घातक’ लड़ाकू विमान मिग-27 की आखिरी स्क्वाड्रन को शुक्रवार को औपचारिक रूप से विदा कर दिया गया। जोधपुर एयरबेस पर हुए विदाई समारोह के बाद इस स्क्वाड्रन के सात विमान हमेशा के लिए भारतीय वायुसेना के गौरवशाली इतिहास का हिस्सा बन गए।
जोधपुर एयरबेस में इस विमान की दो स्क्वाड्रन थी, जिसमें से एक को इस साल की शुरुआत में डिकमीशन कर दिया गया था। आखिरी को आज औपचारिक रूप से विदा कर दिया गया। इन विमानों को 2016 में ही विदाई देने की तैयारी थी लेकिन वायुसेना में विमानों के घटते स्क्वाड्रन को देखते हुए इसमें तीन साल विलंब हुआ।