मनरेगा मजदूरों को बोर्ड के लाभ रोकने का सीटू ने किया विरोध!

    0
    7

    सरकार के फ़ैसले के ख़िलाफ़ खण्ड व ज़िला स्तर पर होंगे प्रदर्शन!

    हिमाचल प्रदेश राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड ने पंजीकृत मनरेगा मजदूरों को मिलने वाले लाभ स्वीकृत करने पर अघोषित तौर पर रोक लगा दी है जिसका सीटू से सबंधित मनरेगा व निर्माण मज़दूर फेडरेशन ने कड़ा विरोध किया है। फैडरेशन के राज्य अध्यक्ष जोगिंदर कुमार और महासचिव भूपेंद्र सिंह ने कहा कि हिमाचल सरकार और कल्याण बोर्ड का प्रबंधन मनरेगा मजदूरों के ख़िलाफ़ काम कर रहा है। ये दोनों निरन्तर निर्माण व मनरेगा मजदूरों के खिलाफ फ़ैसले ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में यूपीए-2 की सरकार ने मनरेगा में एक साल में 50 दिन काम करने वाले मनरेगा मज़दूरों को राज्य श्रमिक कल्याण बोर्डों में सदस्य बनने का अधिकार दिया था। लेक़िन वर्ष 2017 में नरेंद्र मोदी की सरकार ने पंजीकरण के लिए दिनों की शर्त 50 से बढ़ाकर 90 दिन कर दी थी। अब मनरेगा मजदूरों को बोर्ड का सदस्य बनने पर ही रोक लगा दी है जिससे हिमाचल प्रदेश के चार लाख मज़दूर सीधे तौर पर प्रभावित होंगे। इसमें सबसे अधिक प्रभाव मुख्यमंत्री के गृह ज़िला मंडी में पड़ेगा जहाँ पर अभी तक 80 हज़ार मज़दूर बोर्ड से पंजीकृत हुए हैं जिनमें से 52 हज़ार मनरेगा मज़दूर हैं। राज्य अध्यक्ष और बोर्ड के सदस्य जोगिंदर कुमार ने बताया कि 20 सितंबर को मंडी में श्रम व रोज़गार मंत्री विक्रम सिंह की अध्यक्षता में बोर्ड की मीटिंग हुई है जिसमें इस मुद्दे को भी एजेंडा में रखा गया था परन्तु मंत्री ने उसे पेंडिंग रखने को कहा था। बाबजूद इसके बोर्ड के सचिव व मुख्य कार्यकारी अधिकारी मनरेगा मजदूरों के लाभ जारी नहीं कर रहे हैं और न ही केंद्र सरकार की अधिसूचना की प्रति बोर्ड के सदस्यों को उपलब्ध करवा रहे हैं। वे अपनी मनमर्ज़ी के आधार पर कार्य कर रहे हैं जबकि बोर्ड सबंधी सभी निर्णय बोर्ड की मीटिंग में ही लेने होते हैं। हाल ही में हुई कल्याण बोर्ड की मीटिंग दस घण्टे की अल्प अवधि के नोटिस पर बुलाई गई जिसमें चार में से एक ही मज़दूर यूनियन सीटू के प्रतिनिधि बैठक में शामिल हुए। बैठक में किसी भी मज़दूर के लाभ न रोकने का फ़ैसला हुआ था लेकिन बोर्ड के सचिव अपनी मनमर्ज़ी से ही लाभ की फाइलें स्वीकृत नहीं कर रहे हैं। फेडरेशन के राज्य महासचिव भूपेंद्र सिंह ने कहा कि भाजपा की केंद्र व राज्य सरकार शुरू से ही मनरेगा मज़दूर विरोधी मानसिकता के आधार पर काम कर रही है। एक तरफ़ मनरेगा मजदूरों को न्यूनतम 350 रु दिहाड़ी भी राज्य सरकार अदा नहीं कर रही है और अब उसने इन मजदूरों के बच्चों को मिलने वाली शिक्षण छात्रवृति, विवाह शादी, चिकित्सा, प्रसूति, मृत्यु और पेंशन इत्यादि के लिए जो सहायता राशि मिलती थी उसे भी बन्द करने का फ़ैसला लिया है। इसका मनरेगा मज़दूर यूनियन पुरज़ोर विरोध करती है और सरकार से अपना फ़ैसला बदलने की मांग करती है। सीटू के राज्य अध्यक्ष विजेंदर मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने कहा कि इस बारे यूनियन का प्रतिनिधिमण्डल हिमाचल प्रदेश के श्रम मंत्री से जल्दी ही मिलेगा और उसके बाद भी अगर प्रदेश सरकार अपना फ़ैसला नहीं बदलती है तो ज़िला व ब्लॉक स्तर पर प्रदर्शन शुरू किए जायेंगे। इसकी आंदोलन की रूपरेखा व योजना 1 – 2 अक्तूबर को मंडी में हो रहे सीटू राज्य सम्मेलन में तैयार की जायेगी।

    Share this News

    LEAVE A REPLY

    Please enter your comment!
    Please enter your name here