प्रदेश सरकार की विभिन्न योजनाओं ने बढ़ाई जिले के बागवानों की आर्थिकि

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जनजातीय जिला किन्नौर की जलवायु में विभिन्न्ता होने के चलते यहां पर विभिन्न प्रकार के फलों का उत्पादन संभव है। किन्नौर जिला के निचले क्षेत्रों की जलवायु, सम-शीतोष्ण तथा जिले के ऊपरी क्षेत्रों की जलवायु शुष्क-शीतोष्ण होने के कारण यहां पर सेब, बादाम, अखरोट, नाशपति, अंगूर, चेरी तथा प्रून (आड़ू प्लम) की खेती के लिए उपयुक्त है। जिले के लोगों का मुख्य व्यवासाय कृषि के साथ-साथ बागवानी है, जो जिले के लोगों की आर्थिकि को सुदृढ़ करने में अहम भूमिका निभा रही है। जिले की लगभग 98 प्रतिशत आबादी किसी न किसी प्रकार से बागवानी क्षेत्र से जुड़ी है। वर्तमान में जिले में 12616.24 हेक्टेयर क्षेत्र को बागवानी के तहत लाया जा चुका है। जिले में वर्ष 2019-20 में 28 लाख 28 हजार 162 सेब की पेटियां विभिन्न मंडियों में भेजी गई हैं तथा इस वर्ष 32 लाख 83 हजार 300 से अधिक सेब की पेटियां होने का अनुमान है।

प्रदेश सरकार द्वारा जिले में बागवानी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए अनेक योजनाएं व कार्यक्रम चलाए गए हैं तथा जिले के बागवान भी इन योजनाओं व कार्यक्रमों का लाभ लेकर अपनी आर्थिकि को सुदृढ़ कर रहें हैं।

जिले में एकीकृत बागवानी विकास मिशन के तहत 670 बागवान लाभान्वित हुए हैं। योजना के तहत बागवानों को एक करोड़ दो लाख 80 हजार रुपये की राशि बागवानों को स्प्रेयर, टिल्लर, मौन-पालन, फल व सब्जी क्षेत्र में विस्तार व पैकिंग शेड बनाने के लिए उपदान के रूप में प्रदान की गई है। इसके इलावा 282 बागवानों को स्प्रेयर, टिल्लर व केंचुआ खाद बनाने के लिए 60 लाख 95 हजार से अधिक की राशि व्यय की जा चुकी है, यही नहीं जिले के राज्य योजना के तहत भी स्प्रेयर, टिल्लर तथा ओला-अवरोधक जाली (हैल-नेट) खरीदने के लिए 456 बागवानों को 87 लाख 28 हजार 33 रुपये की राशि प्रदान की गई।

हिमाचल प्रदेश बागवानी विकास परियोजना के तहत बागवानी को बढ़ावा देने के लिए जिले में 17 क्लस्टर का गठन किया गया है। इन क्लस्टर के तहत आने वाले 58 बागवानों को 6955 विदेशी सेब के पौधों का आंबटन किया गया है, इनको देखते हुए अब अन्य बागवान भी (उच्च घन्तव फल पौधरोपण) की और रूझान बढ़ा है। परियोजना के तहत बागवानों को बागवानी की नयी तकनीक के प्रति जागरूक करने के लिए विभाग द्वारा 5 प्रशिक्षण शिविर लगाए गए हैं, जिसमें जिले के 252 बागवान लाभान्वित हुए हैं।

बागवानी उप-निदेशक हेम चंद शर्मा ने बताया कि जिले में प्रधानमंत्री कृषि सिचांई योजना के तहत 25 बागवानों ने अपने बागीचों में टपक सिचांई योजना को अपनाया है, जिसके लिए इन्हें 7 लाख 18 हजार रुपये की राशी अनुदान के रूप में प्रदान कि गई है। जिले में पुराने सेब बागीचों के नवीनीकरण के लिए ऐप्पल रेजुविनेशन परियोजना के तहत 13 लाख 39 हजार रुपये की राशि व्यय की जा चुकी है तथा इस योजना से 94 बागवान लाभान्वित हुए हैं।

बागवानी विभाग द्वारा बागवानों की सुविधा के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं, ताकि बागवान आधुनिक तकनीक अपनाकर अपनी आय में बढ़ौतरी कर सकें। विभाग द्वारा जिले में 125 बागवानों को मशरूम उत्पादन व मौन-पालन का प्रशिक्षण दिया गया है तथा प्रशिक्षण शिविरों पर 5 लाख 27 हजार रुपये की राशि व्यय की गई है।

उप-निदेशक हेम चंद शर्मा ने बताया कि वर्ष 2019 में जिले में विभिन्न किस्मों के 32 हजार 397 पौधे बागवानों को अनुमोदित दरों पर वितरित किए गए जिनमें परम्परागत सेब के  20224 पौधे, सेब की (स्पर) किस्म के 10169 पौधे, आड़ू के 100 पौधे, खुमानी के 186 पोधे, नाशपाती के 710 पौधे, चेरी के 120 पौधे, किवि के 755 पौध व बादाम के 133 पौधे 1269 शामिल हैं इन पौधों की खरीद पर बागवानों को 1लाख 41 हजार रुपये का उपदान दिया गया।

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