हिमाचल में कोरोना की मार, जन्माष्टमी उत्सव पर मंदिरों में पसरा सन्नाटा.

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शिमला. हिमाचल प्रदेश में कृष्ण जन्मोत्सव यानी जन्माष्टमी का त्यौहार 11 अगस्त को मनाया जा रहा है. लेकिन कोविड-19 की वजह से प्रदेश में इस बार बड़े आयोजन जन्माष्टमी पर नहीं होंगे, लेकिन लोगों में इस पर्व को लेकर उत्साह में कोई कमी नहीं है. लोग अपने घरों पर ही जन्माष्टमी मनाएंगे और इसे लेकर तैयारियां भी लोग काफी समय से कर रहे हैं. राजधानी शिमला में भी कृष्ण जन्माष्टमी पर इस बार बड़े आयोजन नहीं किये जा रहे हैं. कोविड 19 कि वजह से यहां मंदिर बंद हैं.

इस बार मंदिरों में सन्नाटा

यही वजह है कि हर वर्ष जहां शिमला के प्रसिद्ध राधा कृष्ण मंदिर में जन्माष्टमी महोत्सव मनाया जाता था, वहाँ पर भी इस बार कोई आयोजन नहीं किया जा रहा है. मात्र मंदिर में बंद कपाटों के पीछे ही भगवान कृष्ण का श्रृंगार और विशेष पूजा अर्चना की जाएगी. न ही लोगों को भीड़ मंदिर में कान्हा जी के दर्शनों के लिए जुटेगी और न ही कान्हा के दर्शन हो पाएंगे.

हिन्दू धर्म के अनुसार जन्माष्टमी का पर्व
हिन्दू धर्म के अनुसार जन्माष्टमी का पर्व भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. जन्माष्टमी पर्व को ये मान्यता है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने अवतार लिया था. तभी से ले कर भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन को जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है. वही इस वर्ष 11 अगस्त से अष्टमी शुरू हो जाएगी, जिसके चलते व्रत भी 11 अगस्त को ही किया जाएगा.

कृष्ण भगवान की पूरे विधि-विधान से पूजा

शिमला के राधा कृष्ण मंदिर .के पुजारी उमेश नोटियाल ने कहा कि इस बार कोविड के वजह से मंदिर में जन्माष्टमी का उत्सव, जिस तरह से मनाया जाता था, वो इस बार नहीं होगा. लेकिन मंदिर में कृष्ण भगवान की पूजा पूरे विधि विधान से की जाएगी। कान्हा जी को स्नान कराने के साथ ही उनका श्रृंगार किया जाएगा और उन्हें माखन मिश्री का भोग लगाया जाएगा. वहीं रात 12 बजे कृष्ण जन्मोत्सव पर विशेष पूजा मन्दिर के गर्भ गृह में की जाएगी. इस बार आयोजन बंद दरवाजों के पीछे होगा और लोग इस उत्सव में शामिल नहीं हो पाएंगे. लोग घरों पर रह कर ही कृष्ण जन्मोत्सव का जश्न मना सकते है और भगवान की उपासना कर सकते हैं.

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