साहसिक गतिविधियों एवं घुमक्कड़ी के शौकीनों के लिए हिमाचल एक पसंदीदा गंतव्य है। प्रदेश सरकार राज्य में साहसिक गतिविधियों को चरणबद्ध ढंग से प्रोत्साहन प्रदान कर रही है ताकि इन गतिविधियों में रूझान रखने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हो सके।
पैराग्लाइडिंग, जलक्रीड़ा, स्कीइंग आदि साहसिक खेलों को बढ़ावा देने के अलावा, पर्वतारोहियों को सुविधा प्रदान करने के लिए भी सरकार द्वारा कई कदम उठाए जा रहे हैं। हिमाचल को प्रकृति ने मनमोहक दृश्यों से नवाज़ा है और राज्य में विशेष रूप से कुल्लू, कांगड़ा, मंडी, सिरमौर, किन्नौर, लाहौल-स्पीति तथा चंबा जिलों में कई लुभावने व आकर्षक स्थल हैं जो साहसिक खेल प्रेमियों को रोमांचक अनुभव के अलावा हिमालयी वनस्पतियों व वन्यजीवों के बारे में जानने का भी अवसर प्रदान करते हैं।
कुल्लू जिला की बात करें तो यहां स्थित लग घाटी को प्रकृति ने नैसर्गिक सुन्दरता से नवाज़ा है। स्थानीय लोगों में ‘कंस धार‘ या ‘काईसधार‘ के नाम से प्रसिद्ध इस घाटी के अद्भुत नज़ारे हर किसी को आकर्षित करते हैं। यहां के बड़े-बड़े चारागाह और ब्रिटिश समय के फोरेस्ट हॉउस की आभा तत्कालीन शासकों की भव्यता को दर्शाती है। कुल्लू शहर की भीड़-भाड़ से परे यह स्थल 10 से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और लगभग 3 से 5 घंटे का पैदल रास्ता (ट्रैक) तय कर यहां पहुंचा जा सकता है। इस पर्यटन स्थल से लग घाटी के खेत-खलियानों के शानदार व अद्भुत दृश्य पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं और प्रत्येक कदम पर छायाचित्र लेने के लिए विवश करते हैं। सूर्य की उष्मा से भरपूर ‘काईस धार’ मनोहारी दृश्यावलियों के लिए विख्यात है। घास के मैदान एवं घने जंगलों से आच्छादित पहाड़ियां यहां का मुख्य आकर्षण हैं। कैम्पिंग के लिहाज़ से भी यह जगह उत्तम है। यहां कुछ समय बिताने के बाद पर्यटक अगली सुबह चंबागाड़ टॉप पर जा सकते हैं और 3 घंटे के भीतर वापस विश्राम गृह लौट सकते हैं। यहां से कुपड़ी होकर हाथीपुर पहाड़ से मतासौर पहुंचा जा सकता है।
भुंतर हवाई अड्डे से कुछ दूरी पर शिंदोधार या शोंदोधार स्थित है। यह कुल्लू का प्रसिद्ध पर्यटन गंतव्य है जिसे क्षेत्र की अत्यन्त मनमोहक ‘घाटियों‘ के लिए जाना जाता है। इसे ‘गड़सा घाटी’ भी कहा जाता है। यह अद्भुत स्थल दक्षिण में बंजार तहसील, पश्चिम की ओर द्रंग और दक्षिण की ओर सिराज तहसील से घिरा हुआ है। लगभग 1189 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह एक अति सुंदर गांव है। भुंतर से शमशी सर्किट की इस घाटी में ऊंचे वन मैदान हैं। तितलियों और पक्षियों से भरे हरे-भरे घास के खुले मैदान के दृश्य देखते ही बनते हैं जिससे मन में नई ऊर्जा का संचार होता है। यहां के समीपवर्ती हवाई और दियार गांव भी प्रदेश मंे आने वाले पर्यटकों के लिए प्रकृति का अतुलनीय उपहार हैं।
कुल्लू जिले की सिराज घाटी हिमाचल प्रदेश के सबसे खूबसूरत स्थानों में से एक है। हरे-भरे जंगल व वनस्पतियों से भरपूर घास के मैदान, यहां की स्फटिक आभा, पहाड़ी झरनों की धवल धाराएं और चारों ओर शानदार बर्फ से ढके पहाड़ इसे विश्व का एक अविस्मरणीय हिस्सा बनाते हैं।
सिराज क्षेत्र जलोड़ी दर्रे से मंडी जिले के जंजैहली में शिकारी देवी तक फैला है और इस क्षेत्र में बंजार-शिमला मार्ग पर स्थित सुंदर गांव ‘जिभी‘ लोगों के लिए वर्षभर आकर्षण का केन्द्र रहता है।
यहां आसपास के पहाड़ चीड़ और देवदार के जंगलों से भरे हुए हैं। यह क्षेत्र ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क से केवल एक घंटे की दूरी पर स्थित है। इस दूरस्थ एवं अनुछई मनोरम घाटी से पर्यटक स्वर्गिक आनंद की अनुभूति पाते हैं।
यहां के अन्य खूबसूरत स्थलों में खनाग, जलोड़ी दर्रा, सोझा और बंजार भी शामिल हैं। खनाग घने जंगलों के बीच एक हिमालयी घास का मैदान है। जलोड़ी पर्वत की चोटी से बर्फ से ढकी चोटियों के कभी न भूलने वाले नजारे दिखाई देते हैं।
यहां समीप ही करीब 10,500 फीट की ऊंचाई पर श्रृंगा ऋषि मंदिर स्थित है। इसी घाटी में सियोलसर झील भी स्थित है। यह दोनों स्थान इसे ट्रेकिंग के लिए पर्यटकों का पसंदीदा गंतव्य बनाते हैं। जलोड़ी दर्रे की यह पूरी घाटी देवदार के ऊंचे वृक्षों से घिरी हुई है।
साहसिक खेल प्रेमी शिमला से गुम्मा, लुहरी, आनी से जलोड़ी और आगे कुल्लू होते हुए ट्रेकिंग कर सकते हैं। शिमला ग्रामीण और कुल्लू घाटी की सुंदरता का आनंद लेते हुए इस ट्रेक को पार करने में लगभग एक सप्ताह का समय लगेगा।
पार्वती घाटी में खीरगंगा भी एक मनमोहक पर्यटन गंतव्य है जहां पहुंचने पर भगवान शिव के अवस्थित होने की अनुभूति होती है। खीरगंगा को प्रकृति ने अपार सुंदरता से नवाज़ा है और आगंतुकों को मंत्रमुग्ध करता है। यहां की यात्रा में गर्म पानी के झरने और पार्वती घाटी के शानदार दृश्य पर्यटकों को खूब लुभाते हैं। यहां के कुछ गर्म पानी के झरनों की अद्भुत कहानियां हैं, वहीं कुछ अपनी रहस्यमयी प्रकृति के लिए भी लोकप्रिय हैं।
खीरगंगा के लिए बरशैणी गांव से लगभग 24 किलोमीटर की पैदल दूरी तय कर पहुंचा जा सकता है। उतार-चढ़ाव से भरपूर इस रास्ते से खीरगंगा पहुंचने में एक दिन लगता है। हरे-भरे पहाड़ों, ऊंचे झरनों, वनस्पतियों और जैव विविधता के लिए विख्यात पार्वती घाटी आगंतुकों को रोमांचित करती है।
वर्तमान प्रदेश सरकार राज्य के प्रसिद्ध पर्यटन गंतव्यों को विकसित करने और साहसिक खेल प्रेमियों कोे बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के लिए प्रतिबद्धता से कार्य कर रही है। इससे राज्य में पर्यटकों की आमद बढ़ने के साथ ही यहां के युवाओं को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष तौर पर रोज़गार के अवसर भी सृजित होंगे और पर्यटक गाईड के रूप में भी कार्य कर सकेंगे। https://www.tatkalsamachar.com/shimla-hydropower-projects-2/