मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने आज यहां इंदिरा गांधी राज्य खेल परिसर में राज्य विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण परिषद् के पेटेंट सूचना केंद्र द्वारा आयोजित हिमाचल प्रदेश के पंजीकृत एवं संभावित जी.आई उत्पादों की प्रदर्शनी व बिक्री का शुभारम्भ किया।
16 जून, 2024 तक आयोजित की जा रही इस प्रदर्शनी में प्रदेश के लगभग 15 पंजीकृत एवं सम्भावित जी.आई उत्पाद शामिल हैं। इनमें कुल्लू शॉल, कांगड़ा चाय, चम्बा रुमाल, किन्नौरी शॉल, कांगड़ा पेंटिंग, हिमाचली काला जीरा, चुल्ली तेल, चम्बा चप्पल, लाहुली जुराबे एवं दस्ताने पंजीकृत हैं।
चंबा धातु शिल्प, किन्नौरी आभूषण, स्पीति छर्मा, भरमौरी राजमा, पांगी की ठंगी, चंबा चुख, लाल चावल,https://tatkalsamachar.com/chamba-news-fortnight/ डांगरू व सिरमौरी लोइआ, करसोग के कुलथ, हिमाचली धाम, हिमाचली संगीत वाद्य यंत्र, किन्नौरी सेब, सेपू बड़ी इत्यादि सम्भावित उत्पादों की जी.आई के रूप में पंजीकरण के लिए पहचान की गई हैं। चम्बा धातु शिल्प के पंजीकरण के लिए आवेदन कर दिया गया है।
मुख्य सचिव ने कहा कि भौगोलिक संकेत (जी.आई) एक चिन्ह है जो उन उत्पादों पर लगाया जाता है https://www.youtube.com/watch?v=8BFg56yKnYU&t=66s जिनकी एक विशिष्ट भौगोलिक उत्पत्ति होती है जैसे चम्बा रुमाल, चम्बा चप्पल, कांगड़ा चाय, कांगडा पेंटिंग आदि। उन्होंने कहा कि जी.आई उत्पादों का पंजीकरण भौगोलिक संकेतों को कानूनी संरक्षण प्रदान करता है जिससे निर्यात को बढ़ावा मिलता है। यह भौगोलिक क्षेत्र में उत्पादित वस्तुओं के उत्पादकों की आर्थिक समृद्धि को भी बढ़ावा देता है।
उन्होंने कहा कि यह प्रदर्शनी स्थानीय लोगों एवं पर्यटकों को जी.आई उत्पादों के बारे में जानकारी प्राप्त करने और मूल्यवान पारम्परिक उत्पादकों को खरीदने का अनूठा अवसर है।
इस अवसर पर राज्य विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण परिषद् के सदस्य सचिव डी.सी. राणा तथा संयुक्त सदस्य सचिव डॉ. सुरेश सी. अत्री भी उपस्थित रहे।