रोजगारपरक पाठ्यक्रमों से युवाओं के लिए प्रशस्त होगी रोजगार की राह
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपने पहले बजट में आधुनिक सदी की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए हिमाचल में शिक्षा प्रणाली को नई दिशा देने के संकल्प को सिद्ध करने की राह प्रशस्त की है। समावेशी शिक्षा एवं उत्कृष्टता के लक्ष्य को हासिल करने के दृष्टिगत इसमें नई पहलें की गई हैं। इसमें मेधावी छात्रों को 10 हजार टैबलेट देने की बात है, वहीं प्रारंभिक स्तर पर 17,510 नियमित शिक्षकों को भी यह टैबलेट प्रदान किए जाएंगे। इस पहल का उद्देश्य चरणबद्ध ढंग से सभी को गुणवत्तापूर्ण डिजिटल शिक्षा प्रदान करते हुए एक समतामूलक एवं ज्ञान से परिपूर्ण जीवंत समाज का विकास करना है। इसके अतिरिक्त बजट में 762 विद्यालयों को आईसीटी योजना के अंतर्गत डिजिटलाईज़ किया जाएगा।
कांग्रेस प्रतिज्ञा-पत्र में उल्लेखित गुणात्मक एवं परिमाणात्मक शिक्षा की गारंटी को मूर्त रूप प्रदान करते हुए प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में राजीव गांधी राजकीय आदर्श डे-बोर्डिंग स्कूल स्थापित करने का प्रस्ताव इस बजट में है। सरकार की यह पहल बच्चों की सीखने की क्षमता में और सुधार करते हुए उन्हें एक ऐसा वातावरण प्रदान करेगी, जहां शिक्षा के साथ-साथ इनडोर एवं आउटडोर खेल गतिविधियों के लिए पर्याप्त आधारभूत संरचना होगी। इसके साथ ही उन्हें अत्याधुनिक प्रयोगशाला, पुस्तकालय, स्वीमिंग पूल और अत्याधुनिक क्लासरूम भी उपलब्ध करवाए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने इस महत्वाकांक्षी योजना के लिए 300 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तावित किया है।
मुख्यमंत्री का कहना है कि शिक्षा हमें विश्व के बारे में ज्ञान प्रदान करती है। यह जीवन के प्रति हमारे दृष्टिकोण को विकसित करते हुए एक नई दिशा देती है। राष्ट्र के क्रमिक विकास में यह सबसे महत्वपूर्ण घटक है। उनका कहना है कि शिक्षा हमारा व्यक्तित्व विकास करते हुए समाज के सही संचालन में मदद करती है। इसके साथ ही यह गरीबी उन्मूलन में भी सहायक है। इसी को ध्यान में रखते हुए अच्छी किताबों तक छात्रों की पहुंच आसान बनाने तथा उन्हें प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए बेहतर पठन-सामग्री उपलब्ध करवाने के दृष्टिगत प्रत्येक राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में राष्ट्रीय डिजिटल पुस्तकालय स्थापित किए जाएंगे। विशेष तौर पर राज्य के उन खंडों में इनकी स्थापना की जाएगी, जहां यह सुविधा अभी उपलब्ध नहीं है।
राज्य में व्यवसायिक शिक्षा के विस्तार पर बल देते हुए मुख्यमंत्री ने बजट में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों और बहुतकनीकी संस्थानों में बाजार आधारित रोजगारपरक पाठ्यक्रम शुरू करने की बात भी की है।
मुख्यमंत्री का मानना है कि इस विश्व को एक खूबसूरत जगह बनाने तथा देश के समग्र विकास के लिए समुचित शिक्षा अनिवार्य है। उनका कहना है कि शिक्षा हमें सशक्त करती है और आज के प्रतिस्पर्धात्मक दौर में विभिन्न चुनौतियों का सामना करने के काबिल बनाती है। इन सभी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए सरकार ने इस बार शिक्षा के लिए 8,828 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तावित किया है। https://www.tatkalsamachar.com/shimla-world-forestry-day/
तकनीकी शिक्षा में गुणात्मक सुधार लाने की दिशा में आगे बढ़ते हुए रोबोटिक्स, क्लाउड कंप्यूटिंग, डाटा एनालिसिस, कृत्रिम मेधा (ए.आई.), मशीन लर्निंग इत्यादि नए मूल्यवर्द्धक पाठ्यक्रम शुरू किए जाएंगे। निश्चित ही राजकीय शैक्षणिक संस्थानों में इन पाठ्यक्रमों के समावेश से यह युवाओं के लिए रोजगार के नए द्वार खोलने में सफल सिद्ध होंगे।