Shimla: अनुराग ठाकुर ने गंवाईं सभी अपनी विधानसभा सीटें, जे.पी. नड्डा ने बचा लिए अपने इलाके

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    HimachalPradesh-Shimla-Elections-Assembly
    Anurag Thakur lost all his assembly seats, J.P. Nadda saved his area

    केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने गुजरात विधानसभा चुनाव में चामत्कारिक प्रदर्शन कर दिखाया, लेकिन हिमाचल प्रदेश में सरकार गंवा बैठी. गौरतलब रहा कि केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र हमीरपुर में आने वाली पांचों विधानसभा सीटों पर BJP की हार हुई, जबकि BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र बिलासपुर में आने वाली तीनों विधानसभा सीटों पर BJP को जीत मिली.

    सुजानपुर सीट, जहां से अनुराग ठाकुर के पिता और पूर्व मुख्यमंत्री प्रेमकुमार धूमल चुनाव लड़ा करते थे, से कांग्रेस के प्रत्याशी ने 399 वोटों से जीत पाई. इस बार प्रेमकुमार धूमल को टिकट नहीं दिया गया था, और पार्टी तथा धूमल ने खुद ही कहा था उन्होंने रिटायर होने का फैसला किया है. https://www.tatkalsamachar.com/delhi-arvind-kejriwal-elections/ भोरंज सीट पर BJP को सिर्फ 60 वोटों से हार का सामना करना पड़ा. हमीरपुर विधानसभा सीट पर एक निर्दलीय उम्मीदवार की जीत हुई, जबकि बरसर और नादौन सीटों पर भी कांग्रेस प्रत्याशी जीते.

    उधर, जे.पी. नड्डा के गृहनगर बिलासपुर में तीनों विधानसभा सीटों पर BJP प्रत्याशी जीते, हालांकि जीत का अंतर काफी कम रहा.

    पहाड़ी राज्य में BJP की हार के बाद अनुराग ठाकुर तुरंत ही पार्टी समर्थकों के निशाने पर आ गए, और सोशल मीडिया पर उन्हें पार्टी की अंदरूनी कलह के लिए ज़िम्मेदार ठहराया जाने लगा.

    सूबे की 68 में से 21 सीटों पर BJP के बागी प्रत्याशी चुनाव लड़े थे. उनमें से सिर्फ दो को जीत हासिल हुई, लेकिन बाकियों ने भी खासे वोट बटोर लिए, जो बागी उम्मीदवार के नहीं होने पर BJP को मिल सकते थे.

    कुल मिलाकर, राज्य में तीन-तरफा गुटबाज़ी देखने के मिली – एक तरफ अनुराग ठाकुर थे, एक तरफ जे.पी. नड्डा, और तीसरा गुट उन कार्यकर्ताओं का था, जो मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के वफादार हैं.

    कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश में 40 सीटों पर जीत हासिल की है, जो बहुमत के आवश्यक आंकड़े (35) से ज़्यादा है, जबकि BJP 25 सीटों पर सिमट गई है. आम आदमी पार्टी (AAP) को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली.

    BJP जीत के लिए पूरी तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपलब्धियों पर निर्भर कर रही थी, ताकि उन्हें रिकॉर्ड दूसरा कार्यकाल मिल जाए, क्योंकि अब तक हिमाचल प्रदेश की जनता हर पांच साल में सत्ता को BJP और कांग्रेस के बीच बांटती रही है.

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