शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा कि 1857 के विद्रोह को पहला स्वतंत्रता संग्राम माना जाता है जब अंग्रेजी हुकुमत को देश से उखाड़ फैंकने का संकल्प आरंभ हुआ था।यह निश्चित तौर पर ऐसी लोकप्रिय क्रांति थी जिसमें भारतीय शासक, जनसमूह, किसान और नागरिक सेना शामिल थी। वह आज मनाली में अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना समिति हिमाचल प्रदेश, भारतीय अनुसंधान परिषद दिल्ली और इतिहास शोध संस्थान नेरी द्वारा हिमाचल कला, संस्कृति भाषा अकादमी के तत्वाधान में मनाली में आयोजित ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के अंतर्गत ‘हिन्द स्वराज 1857 से 1947 तक का संघर्ष’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार को संबोधित कर रहे थे।
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गोविंद ठाकुर ने कहा कि मनु की नगरी के नाम से विख्यात मनाली में मनु धाम की स्थापना की जाएगी। इसके लिए लंबे समय से विचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मनाली में मनु का इतिहास क्या रहा है, इस बारे विश्व स्तर तक मनाली की ख्याति पहुंचनी चाहिए। मनु धाम में अनेक शोध के कार्य किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि मनु धाम के लिए भूमि दान करने वालों का योगदान लेकर सभी को आगे बढ़ना है। प्रदेश सरकार इसमें हर संभव मदद करेगी।
गोविंद ठाकुर ने कहा कि आजादी के इतिहास को जानना भावी पीढ़ी के लिये बहुत जरूरी है और इसे जानने के लिए एक ऐसी शिक्षा व्यवस्था का होना जरूरी है जिसमें भारतीय संस्कार, भारतीय ज्ञान और पूरी तरह से भारतीयता का समावेश हो। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने एक सांस्कृति नीति लाई है जिसमें अनेकों बुद्धिजीवियों का सहयोग और सुझाव लेकर इसमें महापुरूषों के विचारों को सम्मिलित किया गया है। उन्होंने कहा प्रदेश के लिए यह बहुत बढ़िया डॉकुमेन्ट होगा जिसके माध्यम से हम इतिहास, कला और संस्कृति को अच्छे से जान सकेंगे। भावी पीढ़ियों को इसका समुचित ज्ञान प्राप्त होगा।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के कालखण्ड से हम गुजर रहे हैं। इस नीति के बारे में कहा जाता है कि यह दुनिया की ऐसी नीति बनी है जिसमें सबसे ज्यादा संवाद हुआ है। इस नीति के निर्माण में उपर से ग्रामीण स्तर तक समितियां बनाई गई और बेहतर सुझावों का समावेश इसमें किया गया है। उन्होंने कहा यह नीति बच्चों को ऐसा वैश्विक ज्ञान देने की ताकत रखती है जिससे भारत वैश्विक ज्ञान का केन्द्र बनेगा। उन्होंने कहा कि लार्ड मैकाले ने भारत के लिए जो शिक्षा नीति लाई थी, उसके बारे कहा था कि यदि यह नीति 20 सालों के लिए भी लागू हो जाए तो हम भारत पर अगले 400 सालों तक शासन कर सकते हैं।
इस नीति से पूरी तरह से पश्चिमी सोच का समाज बनेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लाया है जिसे लागू करना हम सभी की जिम्मेवारी है। इस नीति में भारतीय मूल्यों, संस्कृति व परम्पराओं का ज्ञान बच्चों को मिलेगा। राष्ट्र निर्माण का कार्य करने वाली यह नीति समाज में आने वाले कुछ सालों में बड़ा बदलाव लाने की ताकत रखती है।
जाने-माने इतिहासकार डॉ. प्रशांत गौरव ने सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए 1857 की क्रांति से लेकर आजादी तक के इतिहास की मुख्य घटनाओं का उल्लेख किया। मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. चेत राम ने भी भारत की आजादी के गौरवमयी इतिहास की जानकारी दी। लेखक व साहित्यकार डॉ. सुरत ठाकुर ने कुल्लू जिला के योगदान का उल्लेख किया।
प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष धनेश्वरी ठाकुर, अध्यक्षा महिला मोर्चा मनाली जिन्दु ठाकुर, एसडीएम डॉ.संदीप ठाकुर सहित अनेक इतिहासकार व साहित्यकार इस अवसर पर उपस्थित रहे।
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