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भारत ने फिर दिखाई दरियादिली, नेपाल को दिया लगातार सहयोग का भरोसा
नेपाल और भारत के बीच सीमा विवाद से उत्पन्न हुए तनाव के बाद आज द्विपक्षीय औपचारिक वार्ता हुई. वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए हुई इस बातचीत में भारत का नेतृत्व नेपाल में भारतीय राजदूत विनय मोहन क्वात्रा और नेपाल का प्रतिनिधित्व विदेश सचिव शंकर दास वैरागी ने किया था.
इस बैठक के दौरान नेपाल में भारत के आर्थिक सहयोग से चल रही परियोजना की समीक्षा की गई. नक्शा विवाद के कारण पिछले 9 महीने से किसी भी प्रकार की द्विपक्षीय वार्ता नहीं हो पा रही थी. लेकिन 15 अगस्त को नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने पहल करते हुए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय वार्ता को निरंतरता देने का आग्रह किया था.
सीमा विवाद से उत्पन्न तनाव के कारण पिछले साल जुलाई में हुई समीक्षा बैठक के बाद इसे नवंबर में ही होना था, लेकिन अब यह बैठक 9 महीने की देरी से आयोजित हुई है. दोनों देशों के प्रधानमंत्री के बीच वार्ता हो जाने के कारण आज की बातचीत काफी सकारात्मक और सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई. भारत ने एक बार फिर अपने तरफ से नेपाल के आर्थिक विकास में खुलकर मतदान करने का भरोसा दिलाया है.
इस समय नेपाल में भारत के आर्थिक सहयोग से देश की सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजना का निर्माण किया जा रहा है. अरुण थ्री हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट 900 मेगावाट की परियोजना है. इसके समय पर ही निर्माण कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.
2014 में इसको लेकर नेपाल और भारत में समझौता हुआ जबकि 2018 में इसका निर्माण कार्य का शिलान्यास खुद प्रधानमंत्री मोदी ने ही किया था. यह परियोजना नेपाल की आर्थिक हालत को बिल्कुल बदल कर रख देने की क्षमता रखती है.
इसके अलावा नेपाल के लोगों की अपनी पर रेल चढ़ने का सपना भी पूरा होने जा रहा है. इस समय बिहार के जयनगर से लेकर नेपाल के जनकपुर तक के रेल लाइन का निर्माण और स्टेशन सभी बनकर तैयार हैं. भारत के कोंकण रेलवे से नेपाल में चलने वाले रेल के इंजन और बोगी दोनों ही तैयार कर इस समय सीमा तक पहुंचाए जा चुके हैं. इसका उद्घाटन इसी साल जनवरी में ही होना था लेकिन कोरोना के बढ़ते कहर के बीच इसे फिलहाल स्थगित कर दिया गया है.
नेपाल को पूर्व से पश्चिम तक जोड़ने के लिए भारत ने पूर्व पश्चिम विद्युत रेलवे बनाने का प्रस्ताव भी दिया है. इसके अलावा दिल्ली से काठमांडू को रेल से जोड़ने के लिए रक्सौल काठमांडू रेलवे रूट का सर्वे और डीपीआर का काम भी हो चुका है. जल्द ही इसके निर्माण का समझौता भी होने वाला है.
इसके अलावा नेपाल भारत के बीच व्यापार के प्रवर्द्धन के लिए भारत पांच ड्राईपोर्ट का भी निर्माण कर रहा है जिसमें रक्सौल-बीरगंज ड्राईपोर्ट का संचालन पिछले 10 वर्षों से हो रहा है जबकि जोगबनी विराटनगर का उद्घाटन प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल ही किया था. इसके अलावा भैरहवा सुनौली, नेपालगंज रुपैडिया, काकड़भिट्टआ में भी निर्माण किया जाएगा.
ऐसे ही नेपाल भारत के बीच इंटीग्रेटेड चेकपोस्ट का भी निर्माण भारत ने कर दिया है. रक्सौल बीरगंज के बीच बने इस संयुक्त कस्टम ऑफिस का उद्घाटन मोदी ने ही दो साल पहले किया था. अन्य सीमावर्ती इलाकों में भी इसका निर्माण किया जा रहा है.
नेपाल पेट्रोलियम और गैस के लिए पूरी तरह से भारत पर ही निर्भर है. सड़क के रास्ते से टैंकर द्वारा तेल और गैस लाने से नेपाल के लोगों को काफी महंगा पड़ता था. जबकि भारत नेपाल को सब्सिडाइज रेट पर पेट्रोलियम पदार्थ उपलब्ध कराता है जिसकी कीमत भारत में आम जनता को मिलने वाली कीमत से सस्ती होती है. इसका फायदा नेपाल की जनता को मिले इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल के बाद बिहार के मोतिहारी से लेकर नेपाल के अमलेखगंज तक पाइपलाइन के निर्माण का कार्य पूरा कर नेपाल को सप्लाई भी शुरू हो गई है. इससे नेपाल के लोगों के लिए तेल और गैस तथा हवाई ईंधन काफी सस्ते दामों में मिल रहा है.
भारत के सहयोग से भूकंपसे तबाह हुए कई गांवों को बसाने की जिम्मेदारी भी ली गई थी. नेपाल में 2015 में आए भूकंप का केंद्रबिंदु रहा गोरखा के बार्पाक और आसपास का इलाका पूरी तरह से तबाह हो गया था. इसी तरह इसके अलावा सिंधुपालचोक में भी काफी नुकसान हुआ था. तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने गोरखा और सिंधुपालचोक में 50 हजार परिवारों के लिए घर बनाने का वादा किया था. पिछले चार साल में उन 50 हजार में से आज तक 46,301 घर का निर्माण कर पीड़ित परिवार को हस्तांतरित भी कर दिया गया है. इसके अलावा सैकड़ों स्कूल और मंदिरों का भी निर्माण भारत के सहयोग से किया जा रहा है.