जिला चंबा में प्याज की मुख्य फसल की बिजाई नवम्बर महीने में की जाती है उस समय बाजार में प्याज के दाम बहुत अधिक होते हैं I लेकिन क्या आप जानते हैं कि किसान नवम्बर महीने में भी प्याज की पैदावार निकाल सकते हैं I यह जानकारी देते हुए उप निदेशक कृषि डॉ कुलदीप धीमान ने बताया कि वैज्ञानिक विधि द्वारा खरीफ मौसम में भी ‘सैटस विधि’ द्वारा प्याज के उत्पादन की सिफारिस की जाती जाती है I इस विधि द्वारा अनुमोदित खरीफ प्रजाति के बीज की बुआई मार्च महीने के पहले सप्ताह में की जाती है I
मई-जून महीने तक इस पौध में छोटे छोटे कंद बन जाते हैं I किसान बरसात से पहले इन कंदों को खेत से निकल कर सुरक्षित भण्डारण कर लेते हैं और उसके बाद अगस्त महीने के अंत में या सितंबर महीने के शुरू में बरसात खत्म होने के तुरंत बाद इन सैटस को खेत में रोपित करें I
उन्होंने कहा कि ‘सैटस विधि’ से प्याज की खेती के लिए बासवंत -780 , एग्रीफॉउन्ड डार्क रैड , एन -53 उन्नत किस्में हैं जिन किसानों ने फरबरी अंतिम सप्ताह से मार्च के पहले सप्ताह में बुआई कर के सैटस तैयार कर लिए है https://www.tatkalsamachar.com/shimla-news-pm/ वह किसान सैटस का रोपण 140 -160 कि० ग्रा० प्रति बीघा की दर से अगस्त के अंतिम सप्ताह से सितम्बर के पहले सप्ताह तक करें I अधिक पैदावार लेने के लिए 20 किबंटल गोबर की खाद, 20 कि० ग्रा० यूरिया, 40 कि० ग्रा० सुपर फास्फेट और 8 कि० ग्रा० म्यूरेट ऑफ़ पोटाश प्रति बीघा की दर से डालें
डॉ० धीमान ने बताया कि जिन किसानों ने सेट्स तैयार नहीं किये हैं वह किसान प्रयोग के लिए एक अन्य विधि से भी खरीफ मोसम में प्याज की खेती कर सकते हैं I उन्होंने कहा कि अप्रैल या मई महीने की प्याज की उपज में बहुत छोटे छोटे कंद भी पैदावार के रूप में निकल आते हैं या कुछ कंद सुख कर बहुत छोटे हो जाते हैं I
जिन्हें खाने में उपयोग करना मुस्किल होता है I किसान ऐसे कंद निकाल कर खेतों में 15 X 10 सैं० मी० की दूरी पर यदि https://youtu.be/WXT1TmyoHCE आजकल अगस्त के अंतिम सप्ताह से सितम्बर के पहले सप्ताह तक बिजाई करें तो भी नवम्बर दिसम्बर महीने प्याज की पैदावार निकल सकते हैं I
इस प्रकार नवम्बर -दिसम्बर में खरीफ प्याज की फसल तैयार हो जाती है किसान लगभग 1.0 किवंटल प्रति बीघा की पैदावार प्राप्त कर सकते हैं और अधिक लाभ कमा सकते हैं I