मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ0 प्रकाश दडोच ने जानकारी देते हुए बताया कि विश्व जुनोसीस दिवस (पशुजन्य रोग) का अयोजन उप स्वास्थ्य केन्द्र कुड्डी में किया गया जिसमें पशुपालन विभाग के फार्मासिस्ट सुमन कौर ने पशुजन्य रोग के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 6 जुलाई 1985 को पहली बार विश्व जुनोसीस दिवस मनाया गया था। यह जानवरों से जानवरों तथा मनुष्य को होने वाली बीमारी है। उन्होंने बताया कि दुनिया में 60 प्रतिशत उभरती संक्रामक बीमारियां जुनोसिस है।
उन्होंने बताया कि जलांतक (रैबिज) एक जुनोसिस बीमारी है यह कुत्ते, बिल्ली व नेवले के काटने से होती है। उन्होंने बताया कि अगर यह जानवर काट ले तो जख्म को साबुन और पानी से साफ करें तथा तुरंत चिकित्सक की सलाह लें। इसके ईलाज के लिए सभी सरकारी अस्पतालों में एआरवी के टीके मुफ्त उपलब्ध है।
उन्होंने बताया कि स्क्रब टाइफस भी जुनोसिस बीमारी है। उन्होंने बताया कि मरीज को 104 से 105 ड्रिग्री बुखार, जोड़ों में दर्द, गर्दन, बाजुओं के निचले भाग व कुल्हों में गिल्टियां होना इस बीमारी के लक्षण हैं। उन्होंने बताया कि यदि ऐसे कोई भी लक्षण दिखाई दे तो तुरंत नजदीक के स्वास्थ्य केन्द्र जाकर डाॅक्टर को दिखाएं, अपनी मर्जी से दवा न खाएं।
उन्होंने बताया कि यदि घर में कोई जानवर हैं तो उसकी साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखें। जानवरों को छुने या उनके साथ खेलने के बाद अपने हाथों को साबुन और पानी से अच्छी तरह धोएं। घर में जानवर है तो उसे समय पर जरुरी वैक्सीन लगवाते रहें। जानवरों के द्वारा छुए गए, चाटे गए या सूंघे गए खाद्य पदार्थों का सेवन न करें। जानवरों के मल और पेशाव को ठिकाने लगाने का उचित प्रबंध करें।
उन्होंने बताया कि यदि आपके आसपास कोई संक्रामक बीमारी फैली है, तो उससे बचाव के लिए दिए गए निर्देशों का पालन करें।
भीड-भाड वाली जगहों पर यात्रा करते समय अपने चेहरे को ढक लें और हाथों को नियमित रुप से साफ करें।
विभाग की ओर से स्वास्थ्य शिक्षक कमल कुमार ने जुनोसीस पशुजन्य बीमारियों के बारे में बिस्तार से जानकारी दी तथा रेबीज, स्क्रब टाइफस व कोविड-19 के पोस्टर भी लोगों को बांटे।
इस अवसर पर सीएचओ कु0 कुशम लता, स्वास्थ्य कार्यकर्ता संजीव धीमानए, कोशल्या देवी, आशा कार्यकर्ता लता देवी, प्रेम लता व समुदाय के 80 लोगों उपस्थित रहे।