राज्य स्तरीय नलवाड़ी मेले के अंतर्गत जिला प्रशासन एवं भाषा संस्कृति विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय नलबाड़ी नाट्य उत्सव के प्रथम संध्या में देर रात मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित कहानी बड़े भाई साहब का मंचन नाट्यानुकृति शिमला द्वारा जिला भाषा अधिकारी कार्यालय स्थित प्रेक्षागृह में किया गया। उपायुक्त बिलासपुर आविद हुसैन सादिक ने दो दिवसीय नाट्य समारोह का उद्घाटन करते हुए अपने उद्बोधन में मंचन की उन्मुक्त कंठ से प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि कला संस्कृति में नाट्य कला का अपना विशेष स्थान व पहचान है। नाटक समाज का आईना होता है। बड़े भाई साहब कहानी के माध्यम से मुंशी प्रेमचंद ने तत्कालीन परिस्थितियों को उजागर करते हुए खेलों के महत्व को इंगित किया है। उन्होंने कहा कि वर्ष 1936 के करीब लिखी गई यह कहानी आज भी उतनी प्रासंगिक है जितनी तब थी। पढ़ाई के साथ-साथ यह कहानी खेलों के महत्व के पक्ष में भी लोगों को जागृत करती है। उन्होंने संजय सूद द्वारा निर्देशित इस कहानी के दोनों पात्रों के अभिनय की भी प्रशंसा की।
मंच पर बड़े भाई के रूप में कपिल शर्मा का दमदार अभिनय नाटक में प्रभाव पैदा करता है वही छोटे भाई संजय सूद के चुटीले संवाद नाटक के प्रवाह को आगे बढ़ाते हुए दर्शकों को आनंदित करते हैं। मंच के पीछे विविध नाटक के विविध आयामों में संगीत व प्रकाश में अभिषेक डोगरा ने सहयोग प्रदान किया वही हेमंत नेगी, नरेश, मनीष कुमार, जसवंत और सुभाष ने भी नाटक के मंचन की सफलता के लिए मंच के पीछे के कार्यों का बखूबी संचालन किया। इस अवसर पर अतिरिक्त उपायुक्त डॉ निधि पटेल व बड़ी संख्या में साहित्यकार कलाकार एवं रंग दर्शक शामिल हुए।
प्रेमचंद नें कहानी बड़े भाई साहब में कहने का सफल प्रयास किया है की केवल किताबी ज्ञान से जीवन में सफलता संभव नहीं इसके लिए सामाजिक व व्यवहारिक ज्ञान के साथ पढाई व खेलों का सामान महत्व है। सफलता के लिए रट्टामार, कठोर अनुशासन और सुंदर लिखावट के मिथक को तोड़ खेलों के महत्व को रेखांकित करती मुंशी प्रेमचन्द की कहानी बडे भाई साहब जो शिक्षा पद्धति पर भी पैना व्यंग्य है। https://www.tatkalsamachar.com/solan-economic-development/