A Success Story of Lalit Kalia of Natural farming
ललित कालिया पुत्र हंस राज कालिया हरनेड गांव के स्थाई निवासी हैं। साल-डेढ़ साल पहले तक वे आम किसानों की तरह दिनभर खेती-किसानी में लगे रहते, मगर गुजारे लायक ही पैदावार प्राप्त कर पा रहे थे। इसी बीच प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के बारे में उन्हें पता चला। योजना से जुड़ने के उपरांत अब वे शुद्ध अन्न की उपज व अच्छी आय दोनों ही प्राप्त कर रहे हैं।
बमसन विकास खंड के 48 वर्षीय ललित कालिया के पास लगभग 25 कनाल जमीन है, जिसमेंयेपरंपरागततरीकेसेगेहूंवमक्कीकीफसलउगातेथे। धीरे-धीरेउन्हें कृषिविभागकी आत्मापरियोजना और इसके माध्यम सेकृषि संबंधी विभिन्नयोजनाओंकापताचला।
इसके उपरांत उन्होंने कृषिविभागकी आत्मापरियोजनाकेअंतर्गतसुभाषपालेकरप्राकृतिकखेतीयोजनाकेतहतकृषिविश्वविद्यालयपालमपुरमेंपदम्श्रीसुभाषपालेकरके सानिध्य में 4 जून से 10 जून, 2019 तकआयोजितछःदिवसीयप्रशिक्षणशिविरमेंसफलतापूर्वकप्रशिक्षणप्राप्तकिया।
इसके उपरांत कृषि विभाग की ओर से उनके गांव में प्राकृतिक खेती पर एक कृषकपाठशाला का आयोजन किया गया, जिसमें ये प्रगतिशील किसान के रूप में चयनित हुए। कृषक पाठशाला में रसायनिक खेती से होने वाले नुकसान व बिमारियों से बचाव के लिए सदस्यों को जहरमुक्त खेती करने के लिए प्रेरित किया। कृषकपाठशाला के तहत 25सदस्यों ने प्राकृतिक खेती की विधि से गेहूं, मटर, चना और सरसों की जहरमुक्त खेती की। योजना के अंतर्गत 30 हजार रुपए अनुदान राशि पर डबवाली मंडी पंजाब से एक देसी गाय भी लेकर आए।
प्रारम्भ में ललित कालिया ने 10 कनाल जमीन में प्राकृतिक तरीके से गेहूं, मटर, चना, सरसों, धनिया व मेथी की खेती की। देसी गाय के गोबर और गौमूत्र से तैयार की गई खादों का अपनी खेती में उपयोग कर उन्होंने अच्छी पैदावार लेने में सफलता प्राप्त की है। वे बताते हैं कि मटर, धनिया, मेथी की उपज से उन्हें 20 से 25 हजार रुपए तक मुनाफा हुआ है। एक साल से अधिक समय से प्राकृतिक खेती कर रहे ललित कालिया अब दूसरे किसानों के लिए भी प्रेरणास्रोत बन गए हैं।
कृषि विभाग की ओऱ सेप्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत संसाधन भंडार चलाने के लिए ललित कालिया को दस हजार रुपये अनुदान राशि प्रदान की गई है। प्राकृतिक खेती को सफल बनाने के बाद अब वे संसाधन भंडार से जरूरतमंद व ऐसे किसान जो स्थानीय गाय नहीं पाल सकते, उन्हें खाद व देसी दवाइयां तैयार कर उपलब्ध करवा रहे हैं।
इसके अतिरिक्त प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के अंतर्गत उन्हें गौमूत्र संग्रह की सुविधा के लिए अनुदान राशि तथा खादें तैयार करने के लिए ड्रम भी अनुदान पर दिए गए हैं।
ललित कालिया कहते हैं कि आत्मा परियोजना उन जैसे किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। परियोजना के अंतर्गत किसानों को प्रशिक्षण शिविर, प्रदर्शन प्लॉट, फार्म स्कूल, कृषक समूह, किसान मेला, किसान गोष्ठी, भ्रमण इत्यादि के माध्यम से जागरूक एवं प्रशिक्षित किया जाता है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना अपनाकर किसान जहरमुक्त खेती को बढ़ावा देते हुए न केवल अपने लिए शुद्ध अन्न पैदा कर सकता है, बल्कि अच्छी पैदावार से आमदनी भी कई गुणा बढ़ा सकता है।
परियोजना निदेशक (आत्मा) डॉ. नीति सोनी ने बताया कि जिला हमीरपुर में लगभग आठ हजार किसान इस पद्धति से जुड़ चुके हैं और बहुत ही कम लागत में बेहतर पैदावार लेकर अपने परिवार की आर्थिकी बढ़ा रहे हैं।
उपायुक्त देबश्वेता बनिक का कहना है कि प्रदेश सरकार की ओऱ से किसानों के हित में चलाई जा रही योजनाओं के जिला में समयबद्ध व त्वरित क्रियान्वयन के लिए कृषि विभाग को निर्देश दिए गए हैं। सभी किसान सरकार की इन योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ उठाएं।
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