सरकार के अनेक वरिष्ठ अधिकारी भी इस मंथन के दौरान मौजूद रहेंगे. प्रधानमंत्री बैंकों और एनबीएफसी प्रमुखों के साथ भविष्य के लिए विजन एवं रूपरेखा (रोडमैप) पर चर्चाएं और विचार-विमर्श करेंगे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को यानी आज बड़े बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के प्रमुखों के साथ बैठक करेंगे. इस बैठक में वह कोरोना वायरस संकट से प्रभावित अर्थव्यवस्था की स्थिति का जायजा लेंगे.
क्या है एजेंडा
सरकार के अनेक वरिष्ठ अधिकारी भी इस मंथन के दौरान मौजूद रहेंगे. आधिकारिक बयान के अनुसार प्रधानमंत्री बैंकों और एनबीएफसी प्रमुखों के साथ भविष्य के लिए विजन एवं रूपरेखा (रोडमैप) पर चर्चाएं और विचार-विमर्श करेंगे. बयान में कहा गया है, ‘इस विचार-मंथन सत्र के एजेंडे में शामिल विषयों में कर्ज उत्पाद एवं डिलीवरी के लिए प्रभावकारी मॉडल, टेक्नोलॉजी के जरिए वित्तीय सशक्तिकरण और वित्तीय सेक्टर के स्थायित्व एवं निरंतरता के लिए विवेकपूर्ण तौर-तरीके शामिल हैं.
बैंकिंग सेक्टर की महत्वपूर्ण है भूमिका
बयान में कहा गया है कि बैंकिंग सेक्टर बुनियादी ढांचे, कृषि, एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम) सहित स्थानीय विनिर्माण के वित्तपोषण के जरिए देश के आर्थिक विकास में योगदान देने में अहम भूमिका निभाता है. इसी यह प्रौद्योगिकी के जरिए वित्तीय सशक्तिकरण में बड़ी भूमिका निभा सकता है.
कॉरपोरेट दिग्गजों ने की थी शिकायत
गौरतलब है कि कोरोना संकट की वजह से एक तरफ बैंकिंग सेक्टर पर अर्थव्यवस्था को संभालने की भारी जिम्मेदारी है तो दूसरी तरफ, कर्ज डिफाल्ट और ईएमआई मोरेटोरियम की वजह से उनकी हालत खराब है. इसके बावजूद कॉरपोरेट जगत बैंकों की भूमिका से खुश नहीं है.
हाल में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के साथ चर्चा में कॉरपोरेट जगत के दिग्गजों ने बैंकों की इस बात को लेकर शिकायत की है कि वे अपना खजाना खोलने में हिचक दिखा रहे हैं और पर्याप्त कर्ज नहीं देना चाह रहे.
कॉरपोरेट जगत की एक स्वर में यह मांग है कि बैंकों को अपना खजाना और खोलना होगा. कई कॉरपोरेट हाउस का यह मानना है कि सरकार की सहमति के बावजूद बैंक अपने खजाने को खोलने में कंजूसी दिखा रहे हैं, जिसकी वजह से कॉरपोरेट जगत के हाथ बंधे हुए हैं.