योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश में पैदल, साइकिल से या खतरनाक तरीके से सफर करने वाले लोगों के चलने पर रोक लगा दी है. योगी सरकार की सख्ती का असर ये हुआ कि उत्तर प्रदेश के बॉर्डर इलाकों में अब पैदल चलते मजदूर नहीं दिख रहे हैं.
लखनऊ में बड़े-बड़े शिविर बनाये गए हैं जहां सैकड़ों की तादाद में बसें खड़ी कर दी गईं हैं. इन सबकी प्राथमिकता है कि किसी तरीके से लखनऊ पहुंच रहे लोगों को पहले खाना खिलाया जाए और फिर भोजन पैकेट की व्यवस्था की जाए. उसके बाद यूपी बॉर्डर से लेकर बिहार बॉर्डर तक लोगों को बसों से भेजा जाए.
एक्सप्रेस हाईवे के किनारे शकुंतला मिश्रा यूनिवर्सिटी में सैकड़ों की तादाद में बसें लगाई गईं हैं. वहां से लोगों को उनके जनपदों में और बिहार-बंगाल जाने वाले लोगों को गोरखपुर, बलिया, सिवान और चंदौली जैसे सीमावर्ती इलाकों में भेजा जा रहा है.
कुछ मजदूर राजस्थान से साइकिल से लखनऊ तक पहुंचे हैं. पूछने पर मालूम चला कि इन्हें सुपौल (बिहार) जाना है. फिलहाल इन्हें शिविर में बैठाया गया है. ये लोग पांच दिनों से साइकिल चलाते हुए यहां पहुंचे हैं. प्रशासन अब इन्हें बस से बिहार बॉर्डर तक भेजेगी.
लखनऊ से एक बस बलिया के लिए निकली है. इस बस में बिहार के कई मजदूर बैठे हैं. इन्हें पूर्णिया जाना है यानी आगे 400 किलोमीटर तक का सफर तय करना होगा.
उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने रविवार को कहा था कि सीएम योगी ने औरैया सड़क हादसे पर संवेदना व्यक्त करते हुए सभी वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश दिया है कि किसी भी प्रवासी नागरिक को पैदल, अवैध या असुरक्षित वाहनों से यात्रा न करने दिया जाए.
उन्होंने कहा कि प्रवासियों के लिए हर बॉर्डर पर 200 बसें बॉर्डर के जिलों में व्यवस्थित की गई हैं. अब तक यूपी में 449 ट्रेनें आ चुकी हैं. यह पूरे देश में सबसे अधिक संख्या है. इन ट्रेनों से 5 लाख 64 हजार लोग यात्रा कर चुके हैं. रविवार को ही 75 ट्रेनें आएंगी, 286 और ट्रेनों के संचालन को सहमति दी गई है.