Shimla : भ्रष्टाचार पर कड़े प्रहार व सीमेंट ढुलाई दरों के सर्वमान्य हल में नजर आई मुख्यमंत्री की राजनीतिक व प्रशासनिक नेतृत्व क्षमता

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    Chief Minister's political and administrative leadership ability was seen in strong attack on corruption and universal solution of cement freight rates

    ‘व्यवस्था परिवर्तन’ के संकल्प के साथ कार्य कर रही प्रदेश सरकार इसके लिए ठोस कदम उठा रही है। हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग को भंग कर भ्रष्टाचार पर कड़ा प्रहार करने तथा सीमेंट ढुलाई दरों के मामले का सर्वमान्य हल कर सरकार ने इस दिशा में सार्थक पहल की है।


    पिछले दो दिनों में मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा लिए गए इन  दो बड़े फैसलों से यह साफ हो गया है कि प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार तथा प्रदेश हित से जुड़े मामलों पर पूरी तरह से गंभीर है और प्रदेश की बागडोर सशक्त नेतृत्व के हाथों में है।


    मुख्यमंत्री द्वारा प्रदेश का नेतृत्व संभालने के सप्ताह भर में ही सीमेंट ढुलाई मालभाड़े की दरों को लेकर विवाद शुरू हो गया। ट्रक ऑपरेटर्स और सीमेंट कंपनी के बीच लगभग 67 दिन तक चले इस विवाद को प्रदेश सरकार और विशेष तौर पर मुख्यमंत्री के लिए प्रशासनिक व राजनीतिक तौर पर एक चुनौती माना गया। मुख्यमंत्री ने आगे बढ़कर नेतृत्व करते हुए न केवल प्रशासनिक तौर पर स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए प्रभावी कदम उठाए, अपितु सभी पक्षों से वार्ता के माध्यम से भाड़ा दरों पर आम सहमति बनाने में वह सफल रहे।


    मालभाड़ा दरों का विवाद सिर्फ ट्रक ऑपरेटर्स से जुड़ा मसला नहीं था, बल्कि सीमेंट उद्योग से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तौर पर जुड़े हजारों परिवारों के जीवन यापन का सवाल भी था। इनमें फैक्टरी में कार्य करने वाले कर्मचारियों का भविष्य, ढाबे वालों से लेकर टायर पंक्चर, स्पेयर पार्ट्स, चाय विक्रेताओं तथा मोबाइल रीचार्ज जैसे विभिन्न छोटे कारोबारी भी इससे सीधे तौर पर प्रभावित हो रहे थे। उद्योगों के लिए सुगम परिवेश उपलब्ध करवाने तथा प्रदेश के राजस्व से संबंधित मुद्दा भी इससे जुड़ा था। मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने उद्योग मंत्री की अध्यक्षता में एक उप-समिति का गठन कर वार्ता शुरू की।


    मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आगे बढ़ कर नेतृत्व करने की अपनी क्षमता का परिचय देते हुए स्वयं भी विभिन्न स्तरों पर बैठकों व समन्वय के माध्यम से ट्रक ऑपरेटर्स और उद्योग जगत को विश्वास दिलाया कि प्रदेश सरकार दोनों के ही हितों की रक्षा के लिए कृतसंकल्प है। प्रदेश सरकार की ओर से मामले को जल्द से जल्द सुलझाने के लिए सीमेंट कंपनी पर लगातार दबाव बनाने की रणनीति पर भी काम किया गया। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू की सभी को साथ लेकर चलने की सोच के परिणामस्वरूप कंपनी व ट्रक ऑपरेटर नई ढुलाई दरों पर सहमत हो गए और अंततः मामला सुलझा लिया गया।


    पारदर्शी एवं जवाबदेह शासन व प्रशासन उपलब्ध करवाना प्रदेश सरकार के व्यवस्था परिवर्तन के संकल्प का एक अन्य पहलू है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भ्रष्टाचार के विरुद्ध कड़े तेवर अपनाते हुए हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग को भंग कर इस दिशा में ठोस पहल की है। आयोग से संबंधित एक परीक्षा का प्रश्न-पत्र लीक होने के उपरांत प्रदेश सरकार ने विभिन्न एजेंसियों को जांच का जिम्मा सौंपा। जांच रिपोर्ट में सामने आई अनियमितताओं पर मुख्यमंत्री ने त्वरित कदम उठाते हुए भ्रष्टाचार के विरुद्ध सख्त निर्णय करने में देर नहीं लगाई और कर्मचारी चयन आयोग को भंग कर दिया गया। इस निर्णय ने जहां यह स्पष्ट कर दिया कि प्रदेश सरकार सरकारी नौकरी के चाहवान राज्य के लाखों मेहनतकश युवाओं के भविष्य से किसी प्रकार का खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं करेगी, वहीं भ्रष्टाचारियों को किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा।


    गत दो दिनों में लिए गए इन दो निर्णयों का प्रदेश की जनता ने भी खुले मन से स्वागत किया है। https://www.tatkalsamachar.com/shimla-law-and-order/ लोगों में यह विश्वास और दृढ़ हुआ है कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में राज्य सरकार प्रदेशवासियों के हितों की रक्षा के लिए कड़े कदम उठाने से गुरेज नहीं करेगी और भ्रष्टाचार के विरुद्ध सख्ती से निपटा जाएगा।


    इन दोनों ही फैसलों से ‘सुख की सरकार’ का भाव भी साफ झलकता है कि सरकार दृढ़ इच्छाशक्ति और नेक इरादे के साथ हिमाचल प्रदेश की जनता के साथ खड़ी है।

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