पशुधन जिला कुल्लू के किसानों के जीवन का अह्म हिस्सा है। वर्तमान में जिला में गौधन की संख्या लगभग 1.56 लाख है जो 40 हजार से अधिक परिवारों के लिए अतिरिक्त आय का जरिया बनी हंै। किसान गौवंश से न केवल दुग्ध उत्पादन कर आय अर्जित कर रहे हैं, बल्कि फसलों तथा बागानों के लिए उपयुक्त प्राकृतिक खाद भी उपलब्ध हो रही है। बहुत से बागवान सेब, अनार व अन्य फलों को कीटों से बचाने के लिए गौमूत्र का छिड़काव करके इसका समुचित उपयोग करके कीटनाशकों रहित फसलें उगाकर अच्छे दाम अर्जित कर रहे हैं।
विभाग के उपनिदेशक संजीव नड्डा का कहना है कि पशु पालन विभाग लोगों की आर्थिकी को संबल प्रदान करने के लिए अनेक योजनाओं का क्रियान्वयन कर रहा है। विभाग द्वारा संचालित की जा रही आंगनवाड़ी कुक्कुट विकास योजना जिला कुल्लू में गरीब लोगों की आमदन का मुख्य स्त्रोत बनी है। योजना के अंतर्गत जिला में अधिक से अधिक पशु पालक आंगनवाड़ी कुक्कुट विकास योजना को स्वरोजगार के रूप में अपनाकर अपनी आर्थिक स्थिति में इजाफा कर रहे हैं। जिला में योजना के तहत पशु पालकों की संख्या में बढ़ौतरी हुई है तथा पशु पालक इसे निरंतरता प्रदान करते हुए स्वरोजगार के रूप में अपना रहे हैं। इससे जहां उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर हो रही है, वहीं घर द्वार पर पोषक तत्वों से भरपूर मीट-चिकन के अच्छे दाम प्राप्त हो रहे हैं। पशु पालन विभाग कुल्लू द्वारा इस वर्ष जिला में आंगनवाड़ी कुक्कुट विकास योजना के अंतर्गत मई माह तक विभिन्न वर्गों के 1,179 लाभार्थियों को 65,442 चूजे वितरित किए गए हैं।
अनुसूचित जाति के बीपीएल परिवारों के लिए संचालित की जा रही 200 चिक्स स्कीम के तहत अनुसूचित जाति के 40 हजार रूपये से कम आय वाले बीपीएल परविारों के 65 लाभार्थियों को 100 प्रतिशत अनुदान पर 200 चूजे, आहार तथा चूजों के लिए दाना खाने तथा पानी पीने के बर्तन दिए गए। योजना के तहत मुर्गी पालकों को तीन दिन का प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाता है तथा पशु चिकित्सालय पर आने-जाने के किराय के अतिरिक्त 200 रूपये प्रतिदिन दैनिक भत्ता भी प्रदान किया गया। पांच हजार ब्रायलर फार्म योजना में स्वयं रोजगार हेतु पांच लाभार्थियों को 60 प्रतिशत अनुदान दिया गया। इन्हें तीन चक्रों में प्रति चक्र एक हजार ब्राॅयलर चूजे तथा 30 क्विंटल ब्राॅयलर आहार प्रदान किया गया। इसी प्रकार, 600 ब्रायलर फार्म योजना में बेरोजगार युवकों, कमजोर वर्ग एवं महिलाओं के उत्थान हेतु लाभार्थियों को 100 प्रतिशत अनुदान प्रदान कर लाभान्वित किया गया। इन्हें भी तीन चक्रों में प्रति चक्र 150 ब्रायलर चूजे तथा 5.25 क्विंटल ब्रायलर आहार दिया गया।
विभाग द्वारा जिला में पशु पालकों के कल्याणार्थ और भी कई प्रकार की योजनाएं कार्यन्वित की जा रही हैं जिनमें गर्भित आहार वितरण योजना के तहत इस वर्ष दो माह के दौरान सामान्य वर्ग के 1860 बीपीएल लाभार्थियों को उनकी गर्भित गायों के लिए 50 प्रतिशत अनुदान पर 518.606 मीट्रिक टन गर्भाकाल आहार का वितरण कर लाभान्वित किया गया। इसी प्रकार अनुसूचित जाति के 455 बीपीएल गरीब लाभार्थियों की भी गर्भित गायों को 50 प्रतिशत अनुदान पर 127.24 मीटिक टन गर्भाकाल आहार का वितरण कर लाभान्वित किया गया।
इसके अतिरिक्त, उतम पशु पुरस्कार योजना में सभी वर्गों के 140 लाभार्थियों को जिनकी दुधारू गाय 15 लीटर से अधिक दूध देती है, प्रत्येक लाभार्थी को 1000 रूपए की प्रोत्साहन राशि प्रदान की गई। इससे पशु पालक उतम किस्म के दुधारू पशु पालने के लिए प्रेरित तथा प्रोत्साहित हो रहे हैं। दूध तथा दूध से तैयार होने वाले उत्पादों को बेचकर अच्छे दाम प्राप्त कर मुनाफा कमा रहे है। मेंढा वितरण योजना में जिला में भेड-पालकों को अच्छी नस्ल की भेडं़े पालने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। जिला में 110 भेड़ पालकों को जिनके पास प्रति भेड-पालक 50 से अधिक भेडं़े हैं, 60 प्रतिशत अनुदान पर भेड़ों की नस्ल सुधार मैरिनो नस्ल के प्रजनन योग्य मेढे़ वितरित किए गए।
नड्डा बताते हैं कि पशु उपचार/कृत्रिम गर्भाधान योजना में कोरोना काल के दौरान जिला के 21 पशु चिकित्सा संस्थानों में विभिन्न संक्रामक तथा असंक्रामक रोगों से ग्रसित एक लाख 16 हजार 637 पशुओं का उपचार किया गया। इसके साथ ही पशु पालकों को घर द्वार पर सेवाएं प्रदान कर विभिन्न प्रकार के रोगों से ग्रसित 24 हजार 140 पशुओं का उपचार किया गया। इस दौरान 54 हजार 461 गायों तथा 24 भैंसों में कत्रिम गर्भाधान भी किया गया। पशुपालकों के पशु धन को स्वस्थ व नीरोग रखने के लिए रोग निरोधक टीकाकरण के तहत गलघोटू रोग के प्रति छः हजार पशुओं में रोग निरोधक टीकाकरण किया गया। मुंह, खुर रोग के प्रति एक लाख 6 हजार 430 पशुओं में रोग प्रतिरोधक टीकाकरण, एन्ट्रोटाक्सीमिया रोग के प्रति 350 भेड़-बकरियों में टीकाकरण और पीपीआर रोग के प्रति 91 हजार 783 भेड़-बकरियों में टीकाकरण किया गया। कृमिनाशक/कीटनाशक औषधीकरण योजना के तहत कोरोना काल के दौरान 3 लाख 31 हजार 432 भेड़-बकरियों में कृमिनाशक दवाई पिलाने के साथ तीन लाख तीन हजार 375 भेड़-बकरियों में कीटनाशक स्नान भी किया गया।
क्या कहती हैं जिला की डीसी
उपायुक्त डाॅ. ऋचा वर्मा का कहना है कि कोरोना महामारी के दौर में जिला के किसानों के क्रियाकलापों पर किसी प्रकार का विपरीत प्रभाव न पड़े, इसके लिए जहां कृषि व बागवानी के कार्यों को जारी रखने की अनुमति प्रदान की गई, वहीं किसानों की आर्थिकी का अह्म हिस्सा पशुधन से जुड़े सभी कार्यों को करने की छूट रही। यही कारण है कि कोरोना के संकटकाल में किसानों ने दूध व इससे बने अन्य उत्पादों को बाजारों में तथा लोगों के घर-द्वार जाकर विक्रय किया। इससे विशेषकर महिलाओं की आर्थिकी को और अधिक संबल मिला। वह कहती हैं कि पशुधन ग्रामीण महिलाओं के लिए आर्थिकी का एक बड़ा जरिया बन रहा है। अधिक से अधिक महिलाओं को इस व्यवसाय को अपनाने के लिए आगे आना चाहिए। प्रदेश सरकार द्वारा अनेक प्रकार की योजनाओं के माध्यम से पशुधन को बढ़ावा दिया जा रहा है। लोगों को इन योजनाओं का समुचित लाभ उठाना चाहिए।