चंद्रयान-2 के लैंडर ‘विक्रम’ को आखिरी वक्त में चांद की सतह पर उतारने के लिए 50 डिग्री कोण पर घुमाने की कोशिश हुई थी। लेकिन इसकी गति अधिक होने के कारण एक झटके में यह 410 डिग्री घूम गया और कलाबाजी खाते हुए चांद की सतह पर जा गिरा। ‘विक्रम’ के दुर्घटनाग्रस्त की जांच रिपोर्ट में यह नई बात सामने आई है।
चंद्रयान-2 मिशन के असफल होने के कारणों की जांच के लिए बनी विशेषज्ञ समिति ने कुछ समय पूर्व अंतरिक्ष आयोग को सौंपी अपनी अंतिम रिपोर्ट में कहा है कि विक्रम की गति को नियंत्रित नहीं कर पाने में सबसे बड़ी चूक हुई। बता दें कि विगत 07 सितंबर की तड़के ‘विक्रम’ चांद की सतह पर उतरने से पहले ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।
चांद से करीब 30 किलोमीटर तक की ऊंचाई पर ‘विक्रम’ जब आर्बिटर से अलग हुआ तो इसकी गति 1680 मीटर प्रति सेकेंड थी। इसमें चार इंजन लगे हुए थे जिन्हें बेंगलुरु स्थित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) से नियंत्रित किया जा रहा था। लैंडर जब चांद के सात किलोमीटर निकट तक पहुंचा, तब तक और सब तो ठीक था, लेकिन इसकी गति पर अपेक्षित नियंत्रण नहीं किया जा सका।
‘विक्रम’ जब चांद के दक्षिणी ध्रुव के निर्धारित उतरने के स्थल से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर था, तब इसकी गति कम होकर 146 मीटर प्रति सेंकेंड आ गई। यानी करीब 500 किलोमीटर प्रतिघंटा। यह रफ्तार लैंडिंग के हिसाब से बहुत ज्यादा थी। तय योजना के तहत गति को अब तक काफी कम हो जाना चाहिए था। इसे कम करने की कोशिश लगातार हो रही थी।
दूसरे, विक्रम टेढ़ा भी हो गया था, जिसे 50 डिग्री घुमाने की जरूरत थी। तभी यह सतह पर खड़ा होने की स्थिति में होता। इसी तेज गति में जब इसे सीधा करने की कोशिश के तहत 50 डिग्री घुमाया गया था तो वह अनियंत्रित हो गया और एक झटके में 410 डिग्री घूम गया। यानी एक पूरा चक्कर खाने से भी ज्यादा घूम गया। तेज गति और इस पलटी से यह पूरी तरह से अनियंत्रित होकर चांद की सतह पर जा गिरा।
* 07 सितंबर की तड़के ‘विक्रम’ दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।
* 50 डिग्री कोण पर घुमाने की कोशिश हुई थी विक्रम को।