कालका-शिमला हाईवे पर चंबाघाट से कैंथलीघाट के बीच बन रहे फोरलेन का काम कभी भी बंद हो सकता है। निर्माण कार्य में जुटी ऐरिफ कंपनी का दावा है कि करीब 200 करोड़ का काम पूरा हो चुका है लेकिन उसे सिर्फ 20 करोड़ का भुगतान किया गया है। कंपनी अब आगे काम जारी रखने की हालत में नहीं है। करीब 25 किलोमीटर लंबे इस मार्ग को फोरलेन में बदलने पर साढ़े पांच सौ करोड़ रुपये से ज्यादा का खर्च आना है। कैंथलीघाट से आगे शिमला तक निर्माण करने वाली चेतक कंपनी पहले ही काम बंद कर चुकी है।कैंथलीघाट से चंबाघाट के बीच कटिंग से सड़क जाम न हो, इसके व्यापक प्रबंध हैं। लेकिन कंपनी ने अब काम छोड़ा और थोड़ी सी बारिश हुई तो मलबा सड़क पर आ जाएगा। इससे हाईवे कभी भी ठप हो सकता है। इसी मार्ग पर दो फ्लाई ओवर और एक सुरंग का कार्य शुरू हो चुका है। विवाद बढ़ने से इनका निर्माण कार्य भी प्रभावित हो सकता है।
नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) के प्रोजेक्ट डायरेक्टर एके स्वामी का कहना है कि काम की एवज में मिलने वाली रिपोर्ट के आधार पर भुगतान किया जाता है। काम के आकलन की जिम्मेदारी स्वतंत्र एजेंसी की है। एजेंसी से रिपोर्ट मिलते ही भुगतान कर दिया जाएगा। ऐरिफ कंपनी के महाप्रबंधक अमित मलिक का कहना है कि कंपनी ने 18 से 20 प्रतिशत तक काम पूरा कर लिया है। लेकिन भुगतान न होने की वजह से कंपनी काम जारी रखने की स्थिति में नहीं होगी।