रिकांगपिओ : राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर चार दिवसीय किन्नौर दौरे के दौरान वीरवार प्रातः सांगला पहुंचे।जहां हैलीपैड पर जिले के उपायुक्त आबिद हुसैन सादिक एवं जिला प्रशासन के अन्य अधिकारियों ने उनका स्वागत किया। राज्यपाल का यह किन्नौर जिले का पहला दौरा है। राज्यपाल ‘विद्यार्थियों से संवाद’ के अपने अभियान के तहत सांगला की वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला पहुंचे और स्कूल के नौंवी कक्षा के विद्यार्थियों से बातचीत की। उन्होंने कंप्यूटर, भूगोल, ऑप्शनल विषय सुरक्षा और आपदा प्रबंधन के विषयों पर विद्यार्थियों से जानकारी ली। वे कौन-कौन से विषय पढ़ते हैं, स्कूल पुस्तकालय और पाठ्य पुस्तकों के अलावा पढ़ने के प्रति उनकी रूचि कितनी रूचि है, इस विषय पर बातचीत की। श्री आर्लेकर ने विद्यार्थियों से कहा, ‘‘पुस्तकें हमारी सच्ची मित्र होती हैं। यह हमारी मार्गदर्शक और दार्शनिक होती हैं, जिनसे हमें ज्ञान और अनुभव मिलता है।’’ उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में पूरी दुनिया की जानकारी होना आवश्यक है इसलिए यह ज्ञान हमें पुस्तकों से ही मिलेगा। इसलिए ‘‘पुस्तकें पढ़ोगे तो आगे बढ़ोगे।’’ राज्यपाल ने विद्यार्थियों को आगे बढ़ने और जीवन में सफल होने का मार्गदर्शन दिया।
उन्होंने विद्यार्थियों को निःशुल्क पुस्तकें वितरित कीं और उन्हें पढ़कर राज्यपाल के नाम अपने अनुभव के तौर पर चिट्ठी लिखने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि इससे उनकी पढ़ने और लिखने की आदत बनी रहेगी। राज्यपाल ने स्कूल के प्रधानाचार्य बलविंदर सिंह नेगी और स्टॉफ के अन्य शिक्षकों के साथ भी बातचीत की और विद्यार्थियों के साथ हुए संवाद की जानकारी दी। उन्होंने स्कूल प्रशासन से पुस्तकालय को समृद्ध करने तथा विद्यार्थियों में पढ़ने का शौक विकसित करने के निर्देश दिए।
इससे पूर्व, राज्यपाल ने सी.एस.के. एच.पी.के.वी. माउंटेन एग्रीकल्चर रिसर्च एण्ड एक्सटेंशन सेंटर, सांगला का दौरा भी किया। केंद्र के निदेशक अनुसंधान डॉ नवीन ने राज्यपाल का स्वागत किया। उन्होंने केंद्र मेें काला जीरा, राजमाश और केसर पर किए जा रहे अनुसंधान की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि काला जीरा और केसर को पुनः जीवित करने के लिए प्रभावी प्रयास किए जा रहे हैं। इस अवसर पर प्रगतिशील किसानों ने राज्यपाल को सम्मानित किया। इस मौके पर उन्होंने थिसपोल और स्थानीय नमकीन चाय का भी आनंद लिया। किन्नौर संस्कृति से राज्यपाल इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने स्थानीय लोगों से इसे संरक्षित करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि उनकी यह संस्कृति विशेष है जो देश मेें उन्हें अलग पहचान देती है। उन्होंने कहा कि कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद किन्नौर वासी विकास के पथ पर तेजी से अग्रसर है।
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