नई दिल्ली:
दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में मंगलवार को निर्भया गैंगरेप केस में सुनवाई हुई. निर्भया की मां की याचिका पर कोर्ट में सुनवाई चली. उनकी मांग है कि सभी दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट जारी हो. इस मामले में कोर्ट ने कहा कि आप अपना वकालतनामा जमा करें. फिर दोषी मुकेश के वकील एमएल शर्मा ने कहा कि मैं आधे घंटे में जमा कर दूंगा. उनका कहना है कि मुकेश को जेल में प्रताड़ित किया जा रहा है. कोर्ट ने कहा कि एमएल शर्मा क्या आप दोषी मुकेश से मिले हैं? इस पर वकील एमएल शर्मा ने कहा कि मुझे उनके परिवार ने पैरवी करने के लिए कहा है.
एमिकस क्यूरी वृंदा ग्रोवर ने कहा कि सब कुछ स्पष्ट हो जाना चाहिए की किसकी क्या भूमिका है. सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि किसी भी दोषी की कोई याचिका पेंडिंग नहीं है, डेथ वारंट जारी किया जाए. निर्भया के वकील जितेन्द्र झा ने कोर्ट से कहा कि दोषी क्यूरेटिव पिटीशन तभी दाखिल कर सकते हैं जब उनकी पुनर्विचार याचिका सर्कुलर के जरिए खारिज़ की गई हो.
सरकारी वकील के मुताबिक सभी दोषियों के रिव्यू पीटिशन पहले ही खारिज़ हो चुकी हैं. आज की डेट में कोई रिव्यू या मर्सी पिटीशन पेंडिंग नहीं है. वहीं, सरकारी वकील राजीव मोहन ने कहा, ”क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल करने के लिए जरूरी है कि दोषियों की पुनर्विचार याचिका सर्कुलेशन में खारिज़ हुए हो, लेकिन यहां ओपन कोर्ट में सुनवाई होकर खारिज़ है, डेथ वारंट जारी होने के बाद मामला खत्म नहीं होता जो फांसी तक समय मिलता है, उसमें किया जा सकता है. डेथ वारंट जारी किया जा सकता है. डेथ वारंट जारी होते ही फांसी नहीं होती, समय दिया जाता है. दिए गए समय का उपयोग दया याचिका दाखिल कर सकते हैं. अगर पेंडिंग रहती है तो फांसी वैसे ही रूक जाएगी.”
सरकारी वकील ने कोर्ट में जेल प्रशासन की रिपोर्ट सौंपी. वकील जीतेन्द्र झा ने कोर्ट में जेल मैनुअल पढ़कर सुनाया. उन्होंने कहा, ”डेथ वारंट जारी करने पर कोई रुकावट नहीं है, मौजूद समय कोई याचिका या एप्लिकेशन पेंडिंग नहीं है.”
शत्रुघ्न चौहान मामले के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि 14 दिन का समय देते हुए डेथ वारंट जारी करना चाहिए, उन दिनों का दोषी इस्तेमाल कर सकते हैं. दोषी के वकील सिर्फ समय खराब कर रहे हैं, सुप्रीम कोर्ट ने भी मामले को सुनकर ही पुनर्विचार याचिका खारिज की थी, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट भी इसमें देरी नहीं चाहता.
मुकेश के वकील एमएल शर्मा ने कहा कि कोर्ट ने कौन-सा आदेश दिया कि जल्दी फांसी होनी चाहिए. मुकेश के वकील एमएल शर्मा को डांटते हुए कहा कि आप क्या बात कर रहे हैं, आप आज आकर सिर्फ मेमो दे रहे हैं अभी तक वकालतनामा भी जमा नहीं किया है, आप क्या चाहते हैं कितना वक्त लगाए हम? फिर वकील शर्मा ने कहा कि मैं जल्दी वकालतनामा जमा कर दूंगा.
वृंदा ग्रोवर ने जेल मैनुअल पढ़कर बताया कि जेल प्रशासन ने किसको कब नोटिस जारी किया, जवाब क्या मिला. वृंदा ग्रोवर ने कहा, मेरे क्लाइंट को कानूनी सहायता मिलनी चाहिए, हमें सभी कागज उपलब्ध करवाए जाएं. किसी भी पक्ष के वकील व्यक्तिगत टिप्पणी ना करें.
निर्भया के वकील जितेन्द्र झा ने कहा, ”21 दिसंबर के आदेश को पढ़कर सुना रहे हैं कि दोषी मुकेश के पास वकील नहीं था और उनके पुराने वकील एमएल शर्मा केस नहीं लड़ना चाहते, तभी वृन्दा ग्रोवर की कोर्ट मित्र की नियुक्ति की गई.”
सरकारी वकील राजीव मोहन ने कहा, ”इनको बताना होगा कि क्या इनके पास क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल करने का अधिकार है? नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले और जेल मैनुअल का औसत यही रहा है कि 14 दिन का समय दिया जाता है, ये कोर्ट भी 14 दिन का समय देते हुए डेथ वारंट जारी कर दे, अगर कुछ पेंडिंग हुआ तो समय बढ़ता जाएगा.”
इसके बाद निर्भया केस में पटियाला हाउस कोर्ट ने फैसला सुरक्षित किया और मंगलवार को दोपहर 3:30 बजे सुनाने का फैसला लिया. दोषियों को आदेश देते समय वीडियो कॉन्फ्रेंस से पेश किया जाएगा. एमएल शर्मा की दोषी मुकेश की तरफ से पैरवी करने की अर्जी खारिज हुई.