अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं हुई थी कि कोरोना वायरस हवा में फैलता है। हां, यह जरूर कहा गया था कि यदि कोई कोरोना वायरस से संक्रमित है और वह खांसता या छींकता है तो उसके आसपास संक्रमण का खतरा रहता है लेकिन अब एक नई रिपोर्ट सामने आई है जो होश उड़ाने वाली है। एक नए अध्ययन के मुताबिक अस्पताल के वार्ड की हवा में कोरोना वायरस मिला है। वार्ड में कोरोना को मरीज से चार मीटर की दूरी पर पाया गया है।
इमर्जिंग इंफेक्सियस डिजीज नाम की पत्रिका में यह रिपोर्ट छपी है। बता दें कि यह पत्रिका द सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) की है। इस रिपोर्ट के आने के बाद अनुमान लगाया जा रहा है कि कोरोना से संक्रमित लोगों को होम आइसोलेशन में रखना खतरे से खाली नहीं है। इस रिपोर्ट ने कोरोना के संक्रमण की प्रक्रिया को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है।
यह शोध बीजिंग में सैन्य चिकित्सा विज्ञान अकादमी अस्पताल के आईसीयू और जेनरल वार्ड में हुआ है। यह शोध 19 फरवरी से 2 मार्च के बीच दोनों वार्ड में किया गया। इस दौरान अस्पताल के आईसीयू में कोरोना वायरस के 15 मरीज थे, जबकि जेनरल वार्ड में 14 मरीज थे। आईसीयू के भीतर हवा से लिए गए 40 में से 14 नमूनों में वायरस पाया गया, वहीं जेनरल वार्ड के 16 नमूनों में से दो में वायरस मिला है। शोध में यह भी पता चला कि मरीज से चार मीटर की दूरी पर भी हवा में कोरोना वायरस मिला है।
बता दें कि इससे पहले मैसाचुसेट्स प्रौद्योगिकी संस्थान (एमआईटी) के एक शोधकर्ता ने चेतावनी देते हुए कहा था किकोरोना वायरस लगभग आठ मीटर की दूरी तक फैल सकता है। शोधकर्ता ने सोशल डिस्टेंसिंग के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन और सीडीसी (CDC) की तरफ से जारी पुरानी गाइडलाइंस में बदलाव करने की सलाह दी थी।
यह शोध एमआईटी की शोधकर्ता लीडिया बोरोइबा ने किया था जो कि सालों से खांसी और जुकाम के संक्रमण पर शोध कर रही हैं। एमआईटी की एसोसिएट प्रोफेसर लीडिया का यह शोध अमेरिकी मेडिकल एसोसिएशन की पत्रिका में छपा है। प्रोफेसर लीडिया ने अपने शोध में जानकारी दी है कि दो मीटर की सोशल डिस्टेंसिंग 1930 के पुराने मॉडल पर आधारित है।