सामाजिक सरोकारों को सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान करते हुए प्रदेश सरकार हिमाचल का चहुंमुखी विकास सुनिश्चित कर रही है। वंचित वर्गों के कल्याण की दिशा में किए जा रहे प्रदेश सरकार के समर्पित प्रयासों से लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आ रहे हैं। प्रदेश सरकार ने कमजोर वर्गों के कल्याण के लिए 1,537.67 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जिसके तहत अनुसूचित जाति, जनजाति, महिलाओं, बच्चों, वृद्धजन और विशेष रूप से सक्षम लोगों का कल्याण सुनिश्चित किया जाएगा। इसके अलावा, अनुसूचित जनजाति के कल्याण को केन्द्र में रखकर 2,483.20 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
प्रदेश सरकार की इस नवोन्मेषी पहल से वंचित वर्गों के लिए सम्मानजनक जीवन जीने का मार्ग प्रशस्त होगा। https://youtu.be/NaNGT_T45wE?si=ZkotEGjwKNOIMEkg वर्तमान में प्रदेश में आठ लाख लोग सामाजिक सुरक्षा पेंशन से लाभान्वित हो रहे हैं।
प्रदेश सरकार ने विधवाओं, एकल महिलाओं और दिव्यांगजनों के समक्ष आने वाली चुनौतियों को कम करने के दृष्टिगत कुछ पात्रता मापदंडों को लचीला बनाया है, जिसके फलस्वरूप लगभग 76,000 नए लाभार्थी अब सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना का लाभ उठा रहे हैं। सामाजिक सुरक्षा पेंशन को विस्तार प्रदान कर वंचित वर्गों तक इसके लाभ पहुंचाए जा रहे हैं। प्रदेश सरकार का यह प्रयास समावेशी समाज की परिकल्पना को साकार करता है।
समाज के कमजोर वर्गों के सपनों के घर को हकीकत में बदलते हुए प्रदेश सरकार की स्वर्ण जयंती आश्रय योजना के तहत पात्र अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के परिवारों को प्रति परिवार 1.5 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है।
सूचना प्रौद्योगिकी के इस युग में अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के युवाओं को विशेष कंप्यूटर प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से डिजिटल कौशल से लैस करने और उन्हें आधुनिक तकनीक में सशक्त करने के लिए पांच करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है। समाज में सद्भाव की भावना को मजबूती प्रदान करने के लिए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत अंतर्जातीय विवाह के लिए 50 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जा रही है। वृद्धजनों की बेहतर देखभाल सुनिश्चित करने के लिए राज्य में 11 वृद्धाश्रम, 22 डे केयर सेंटर और सात वरिष्ठ नागरिक सुविधा केंद्रों के माध्यम से उन्हें बेहतर और सुरक्षित वातावरण उपलब्ध करवाया जा रहा है।
प्रदेश सरकार द्वारा संचालित विभिन्न आश्रमों में रह रहे आवासियों को उत्सव भत्ता प्रदान किया जा रहा है, ताकि वे जीवन की खुशियों को अनुभव कर सकें। विशेष रूप से सक्षम बच्चों के विकास और सशक्तिकरण के लिए https://tatkalsamachar.com/kinnaur-news-balika-ashram-kalp/ सरकार ने ‘असीम’ नामक एक दूरगामी पहल शुरू की है। इस योजना के तहत दिव्यांग छात्रों को 625 रुपये से लेकर पांच हजार रुपये तक की मासिक छात्रवृत्ति दी जा रही है, ताकि वे अपने उज्ज्वल भविष्य के सपने साकार कर सकें।
दिव्यांगजनों को समाज की मुख्यधारा में जोड़ने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा दिव्यांग व्यक्तियों के साथ विवाह को प्रोत्साहित करने के लिए 25 हजार रुपये से लेकर 50 हजार रुपये तक की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। इसके अलावा, दिव्यांग लोगों की देखभाल और सहायता करने वाली संस्थाएं चलाने वाले गैर-सरकारी संगठनों को भी अनुदान सहायता का प्रावधान किया जा रहा है।
कांगड़ा जिला के लुथान का आदर्श ग्राम सुख आश्रय परिसर 400 से अधिक बुजुर्ग और निराश्रितों को आवासीय सुविधा प्रदान करेगा। यह परिसर अत्याधुनिक तकनीक से निर्मित किए जाएंगे और यहां रहने वाले आवासीयों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी।
प्रदेश सरकार वंचित वर्गों के सशक्तिकरण की दिशा में समग्र प्रयास कर रही हैं। सरकार के इन प्रयासों के फलस्वरूप ये वर्ग समाज की मुख्य धारा में जुड़कर प्रदेश की प्रगति में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर रहे हैं।