कार्यक्रम में प्रदेश के सभी जिलों के लाभार्थियों की वर्चुअल माध्यम से भागीदारी सुनिश्चित की गई। इस दौरान लाभार्थियों ने अपने अनुभव साझा किए और योजना से जुड़े सकारात्मक बदलावों पर चर्चा की।
इस अवसर पर अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग आरडी नजीम ने प्रधानमंत्री विश्वकर्मा डॉक्यूमेंटरी का विमोचन किया। डॉक्यूमेंटरी में परम्परागत कारीगरों की जीवन की कहानियांे को प्रस्तुत किया गया। उन्होंने जिला के लाभार्थियों से सीधा संवाद कर इस योजना से उनके जीवन और आजीविका में आए सकारात्मक अनुभव भी जाने। कार्यक्रम में कारीगरों और लाभार्थियों को सम्मानित भी किया गया।
उन्होंने कारीगरों के बढ़ते आत्मविश्वास, बाजार को लेकर तैयारी और हिमाचली शिल्पकला को देशभर में पहुंचाने के प्रयासों की सराहना की।


निदेशक उद्योग डॉ. यूनुस ने योजना के सुचारू क्रियान्वयन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि योजना के अंतर्गत अब तक 19,000 से अधिक लाभार्थियों के आवेदन स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से 12,000 कारीगरों को प्रशिक्षण दिया गया है। उन्होंने कारीगरों को निरंतर सहयोग और कौशल विकास के अवसर प्रदान करने की प्रतिबद्धता को दोहराया।


अतिरिक्त निदेशक, उद्योग तिलक राज शर्मा ने कहा कि इस योजना के कार्यान्वयन से कारीगरों ने आजीविका को सुदृढ़ किया है और सतत विकास को बढ़ावा दिया है। उन्होंने कहा कि उद्योग विभाग परंपरागत कौशल को बढ़ावा देने, ग्रामीण आजीविका को मजबूत करने और विकसित भारत के दृष्टिकोण को समावेशी एवं सतत विकास के माध्यम से साकार करने के लिए प्रतिबद्ध है।


इस अवसर पर अतिरिक्त निदेशक प्रशासन डॉ. हरीश गज्जू, संयुक्त निदेशक दीपिका खत्री और अनिल ठाकुर, उपनिदेशक अंबिका सूद तथा जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक संजय कंवर, एमएसएमई और बैंकिंग क्षेत्र से जुड़े प्रमुख हितधारक भी उपस्थित थे।

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