हिमाचल प्रदेश पर कर्ज इतना है कि प्रति व्यक्ति कर्ज 1 लाख 17 हजार रुपए पहुंच गया है. जो देश में अरुणाचल प्रदेश के बाद सबसे ज्यादा है. यानी कर्ज का पहाड़ बड़ा है फिर भी फ्री के जो वादे हैं उनका खर्च अगर देखें तो 1500 रुपए महीना महिलाओं को देने में सालाना खर्च 800 करोड़ रुपए का है ये शेर हकीकत में बदलता दिख रहा है.दुष्यंत कुमार का शेर है…
कहां तो तय था चिरागां हरेक घर के लिए
कहां चिराग मयस्सर नहीं शहर के लिए
हिमाचल प्रदेश की खराब आर्थिक स्थिति को देखते हुए सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने गुरुवार को एलान किया कि मुख्यमंत्री, https://tatkalsamachar.com/chamba-news-historical-holy/ मंत्री, मुख्य संसदीय सचिव, बोर्ड निगमों के चेयरमैन दो महीने तक वेतन-भत्ता नहीं लेंगे. हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ने सभी विधायकों से भी वेतन-भत्ता दो महीने के लिए छोड़ने की मांग रखी है. सीएम सुक्खू का कहना है कि चूंकि प्रदेश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है इसलिए वो दो महीने के लिए अपना और अपने मंत्रियों का वेतन-भत्ता छोड़ रहे हैं. विधायकों से मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि हो सके तो दो महीना एडजस्ट कर लीजिए. अभी वेतन-भत्ता मत लीजिए. आगे देख लीजिएगा. तो क्या जैसे प्राकृतिक आपदा में शिमला से लेकर मनाली तक ऐसे पहाड़ टूटता देखा गया है. क्योंकि विकास अनियंत्रित तरीके से किया जाता रहा. ठीक उसी तरह अबआर्थिक संकट का पहाड़ भी हिमाचल प्रदेश में टूट रहा है.https://youtu.be/r5DTtOqfazc?si=Mhs61OhYNOWQ_FHl क्योंकि अनियंत्रित तरीके से वादे सत्ता पाने के लिए किए जाते रहे, ना कि हालात संभालने का काम हुआ तभी तो हिमाचल प्रदेश पर अभी 87 हजार करोड़ रुपए के करीब कर्ज है. ये देश में 9 पहाड़ी राज्यों में किसी एक राज्य में सबसे ज्यादा है. 31 मार्च 2025 तकहिमाचल प्रदेश पर 94,992 करोड़ रुपए के लोन का भार हो जाएगा.