
बागवानी मंत्री ने सोलर फेंसिंग कर रही संबंधित फर्म पर पेनल्टी लगाने के दिए निर्देश
प्लम और जापानी फल के 40-40 हजार पौधे उपलब्ध करवाएगा नौणी विश्वविद्यालय
राजस्व एवं बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता में आज यहां एचपी शिवा परियोजना की गवर्निंग काउंसिल की तीसरी बैठक आयोजित हुई। बैठक में परियोजना से संबंधित कई अहम निर्णय लिए गए।
बैठक में अवगत करवाया गया कि एचपी शिवा परियोजना प्रदेश के सात जिलों में क्रियान्वित की जा रही है। इसकी कुल लागत 1292 करोड़ रुपये है, जिसमें 1030 करोड़ रुपये एशियन विकास बैंक का ऋण और 262 करोड़ रुपये राज्य सरकार का अंशदान है। अब तक इस परियोजना के तहत 190 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं।
परियोजना के अंतर्गत चार हजार हेक्टेयर भूमि पर सोलर फेंसिंग का कार्य प्रस्तावित है, जिसमें जून 2025 तक 2750 हेक्टेयर भूमि पर कार्य पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है तथा अब तक 828 हेक्टेयर भूमि पर सोलर फेंसिंग का कार्य पूर्ण हो चुका है।
बागवानी मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि सोलर फेंसिंग और फील्ड तैयारी कर रही फर्मों द्वारा समय पर कार्य पूरा न करने की स्थिति में अनुबंध के अनुसार पेनल्टी लगाई जाए। उन्होंने डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी सोलन को प्लम और जापानी फल (पर्सिमन) के उच्च गुणवत्ता वाले पौधे किसानों को उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए।
बैठक में अवगत करवाया गया कि विश्वविद्यालय द्वारा फरवरी 2026 तक 40-40 हजार प्लम और पर्सिमन के पौधे तथा वर्ष 2027 तक कुल 1 लाख पौधे उपलब्ध करवाए जाएंगे। मंत्री ने यह भी निर्देश दिए कि किसानों को ‘ट्रू-टू टाइप’ (ज्तनम.जव.जलचम च्संदजे) पौधे ही दिए जाएं, जिनकी गुणवत्ता जांच नेरी स्थित मॉलिक्यूलर लैब में की जा रही है, जिसे एशियन विकास बैंक ने भी अनुमोदन प्रदान किया है। साथ ही बताया कि किसानों के खेतों से लिए गए सैंपलों की जांच भी की जा रही है, जिसकी रिपोर्ट 7-8 दिनों में उपलब्ध करवाई जाती है।
बागवानी मंत्री ने ब्रांडेड कंपनियों के पानी में घुलनशील पोषक तत्व तथा कीटनाशकों की निविदा प्रक्रिया के माध्यम से खरीद सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। साथ ही, एचपीएमसी के सहयोग से उच्च तकनीक युक्त स्प्रे किट, पंप व अन्य उपकरणों की खरीद को भी निर्देशित किया।
बैठक में 66 एजेंडा आइटम्स को अनुमोदित किया गया। साथ ही अवगत करवाया कि एचपी शिवा परियोजना के अंतर्गत एकीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म विकसित किया जा रहा है, जिसमें 75 प्रकार की कृत्रिम मेधा (एआई) https://tatkalsamachar.com/shimla-news-all-india-congress/आधारित सेवाएं जैसे पौध सुरक्षा, रोग प्रबंधन, मिट्टी की जांच, नमी का स्तर, मौसम की जानकारी, उत्पादन की ट्रेसिंग व ट्रैकिंग, क्षमता निर्माण और विपणन आदि उपलब्ध करवाई जाएंगी। साथ ही, क्लस्टर किसानों को बागीचों से उत्पन्न होने वाले कार्बन क्रेडिट का लाभ भी मिलेगा।
बागवानी मंत्री ने ड्रिप सिंचाई कार्यों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु निर्माण निगरानी एजेंसी से नियमित निरीक्षण करवाने तथा कार्यों में देरी करने वाली फर्मों पर तत्काल पेनल्टी लगाने के निर्देश दिए।
बैठक में बागवानी निदेशक विनय कुमार, कृषि निदेशक कुमुद सिंह, एचपीएमसी प्रबंध निदेशक सुदेश मोक्टा, वित्त विभाग के विशेष सचिव सौरभ जस्सल, एचपी शिवा परियोजना निदेशक देवेंद्र ठाकुर, उप-परियोजना निदेशक विशाल जसवाल, विशेष निजी सचिव तुलसी राम शर्मा सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।