राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि शिक्षा केवल परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने तक सीमित नहीं है बल्कि यह जीवन को सही दिशा देने, समाज में सकारात्मक बदलाव लाने तथा राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भागीदारी निभाने का माध्यम भी है।
राज्यपाल आज यहां हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में आयोजित ‘शिमला के मेधावी’ कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। यह कार्यक्रम एक प्रमुख हिन्दी समाचार पत्र समूह द्वारा आयोजित किया गया था। इस अवसर पर शिमला जिले के 40 से अधिक स्कूलों के 450 मेधावी विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया।


राज्यपाल ने कृत्रिम मेधा (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) की बढ़ती भूमिका पर चर्चा करते हुए कहा कि एआई हमारे द्वारा प्रदान की गई जानकारी के आधार पर ही सूचना देता है। इसलिए इसका उपयोग सूझबूझ और जिम्मेदारी से किया जाना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों से यू-ट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म पर अधिक निर्भर न होने और सार्थक ज्ञान अर्जन पर ध्यान केन्द्रित करने का आह्वान किया। https://tatkalsamachar.com/wp-admin/post.php?post=29030&action=editउन्होंने कहा कि भारत एआई और तकनीकी क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है और इसमें रोज़गार के अनेक अवसर उपलब्ध हैं। आज उच्च पदों पर तैनात अधिकारी भी तकनीकी क्षेत्र में केरियर बनाने की ओर आकर्षित हो रहे हैं।


राज्यपाल ने कहा कि ‘विद्यार्थी आज के नागरिक और कल के निर्माता हैं, उनका वर्तमान दृष्टिकोण ही देश का भविष्य तय करेगा।’ उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल रोज़गार प्राप्त करना नहीं होना चाहिए, बल्कि विद्यार्थियों को सशक्त बनाना और एक सभ्य, सशक्त भारत का निर्माण करना भी होना चाहिए। उन्होंने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति इसी दृष्टिकोण को ध्यान में रखकर तैयार की गई है और यह युवाओं को अनेक अवसर प्रदान करती है।
भारत की वैज्ञानिक विरासत पर चर्चा करते हुए राज्यपाल ने दशमलव प्रणाली पर भारत के योगदान का उल्लेख किया और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को एक आदर्श व्यक्तित्व बताया। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यवसाय क्यों न हो, शिक्षा का मूल भाव हमेशा जीवित रहना चाहिए। एक सच्चा शिक्षक वही होता है जो स्वयं भी निरंतर सीखता है और उस ज्ञान को दूसरों से साझा करता है।


राज्यपाल ने विद्यार्थियों से अनुशासन का पालन करते हुए समय का सदुपयोग करने और एक बेहतर हिमाचल के निर्माण में योगदान देने का आह्वान किया।
उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा नशा उन्मूलन अभियान में दिए जा रहे सहयोग और विद्यार्थियों के प्रवेश-प्रपत्र में नशा विरोधी शपथ को शामिल करने की सराहना की। उन्होंने आयोजकों को मेधावी छात्रों को सम्मानित करने के लिए बधाई दी और कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम न केवल विद्यार्थियों की प्रतिभा का सम्मान करते हैं बल्कि युवा कौशल को भी उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए भी प्रेरित करते हैं।
इस अवसर पर राज्यपाल ने ‘कलम ऑफ हिमाचल’ नामक पहल का शुभारम्भ किया।


हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. महावीर सिंह ने राज्यपाल का स्वागत करते हुए उन्हें अवगत करवाया कि विश्वविद्यालय ऊर्जा, साइबर सुरक्षा और डेटा साईंस जैसे विषयों को प्राथमिकता प्रदान कर रहा है। उन्होंने इन विषयों पर आधारित तीन नये केन्द्रों की शीघ्र स्थापना की घोषणा की। उन्होंने कहा कि एआई के कारण शिक्षा क्षेत्र में नई चुनौतियां उत्पन्न हुई हैं जिसका समाधान आवश्यक है। उन्होंने विद्यार्थियों से इन चुनौतियों का सामना बिना डर सेे करने को कहा।


विद्यापीठ संगठन के निदेशक रविन्द्र अवस्थी ने भी राज्यपाल का स्वागत किया तथा निदेशक रमेश शर्मा ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
राज्यपाल के सचिव सीपी वर्मा, अभिभावक, शिक्षक, विश्वविद्यालय संकाय के सदस्य और अन्य गणमान्य भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

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