शिमला : बल्क जलापूर्ति योजना को मिली वन स्वीकृति- सुरेश भारद्वाज,

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Suresh-Bharadwaj-tatkalsamachar.com
Shimla: Bulk water supply scheme got forest approval: Suresh Bhardwaj,

शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने आज यहां शिमला के लिए बल्क जलापूर्ति योजना को भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान करने के लिए केन्द्र सरकार का आभार व्यक्त किया।
उन्होंने यह भी जानकारी दी कि इस योजना के लिए भारत सरकार द्वारा काफी कम समय में वन स्वीकृति प्रदान की गई है। उन्होंने केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव का भी आभार व्यक्त किया।

उन्होंने इस कार्य में योगदान के लिए प्रदेश के वन विभाग और शिमला जल प्रबंधन निगम लिमिटेड (एसजेपीएनएल) के सभी संबंधित अधिकारियों एवं कर्मचारियों को भी बधाई दी। उन्होंने कहा कि शिमला शहर को 24 घंटे जलापूर्ति प्रदेश सरकार की प्रतिबद्धता है। शिमला के पांच वार्डों में इस वर्ष के अन्त तक 24 घंटे जलापूर्ति शुरू हो जाएगी।


सुरेश भारद्वाज ने कहा कि शहरी विकास विभाग द्वारा विश्व बैंक और भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग के साथ नेगोशिएशन पैकेज के प्रारूप को मंजूरी प्रदान की गई है, जिससे ग्रेटर शिमला क्षेत्र में जल आपूर्ति योजना सेवाओं में सुधार के लिए शिमला जलापूर्ति एवं सीवरेज सेवा वितरण कार्यक्रम के वित्तपोषण के लिए विश्व बैंक के माध्यम से 250 मिलियन डाॅलर (1813 करोड़ रुपये) का वित्त पोषण किया जा सके। कुल 250 मिलियन डाॅलर में से विश्व बैंक 160 मिलियन डाॅलर (1160.32 करोड़ रुपये) की वित्तीय सहायता प्रदान करेगा और शेष राशि 90 मिलियन डाॅलर (652.68 करोड़ रुपये) का वहन हिमाचल सरकार द्वारा किया जाएगा।


उन्होंने कहा कि इस योजना में शिमला जिले की सुन्नी तहसील के शकरोड़ी गांव के पास सतलुज नदी से पानी उठाने की योजना बनाई गई है जिसमें संजौली में 1.6 किलोमीटर की ऊंचाई तक उठाने और 22 कि.मी. की पाइप बिछाने से 67 एमएलडी पानी की वृद्धि शामिल है। इस योजना के अन्तर्गत नगर निगम शिमला में वितरण पाइप नेटवर्क को सप्ताह भर 24 घंटे जलापूर्ति प्रणाली में स्तरोनन्त करने का भी प्रावधान है। इसके अतिरिक्त, शिमला के मैहली, पंथाघाटी, टुटू और मशोबरा क्षेत्रों में मलनिकासी प्रणाली प्रदान की जाएगी। यह राज्य के लिए एक प्रमुख परियोजना होगी जो शिमला में बेहतर जलापूर्ति और मलनिकासी प्रणाली प्रदान करने का प्रयास करेगी और वर्ष 2050 तक शहर की आवश्यकताओं को पूरा करेगी।

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