शिमला नगर निगम के अन्तर्गत आने वाले वार्ड नम्बर सात मज्याट के लोगों को आज तक भी एंबुलेंस रोड की सुविधा नहीं मिल पाई है। इसके लिए वार्ड के हजारों लोगों को प्रतिदिन दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। किसी के बीमार हो जाने पर मरीज को हस्पताल ले जाने की कोई भी सुविधा नहीं है। इसे देखते हुए उस दुर्गम क्षेत्र की याद आती है जहां मरीज को पीठ पर लाद कर या कुर्सी या चारपाई पर लेटाकर कर दूर हस्पताल ले जाना पड़ता है इस दुआ और संदेह के साथ कि मरीज हस्पताल सुरक्षित पहुंच जाए और उसका ईलाज करवाया जा सके। यही स्थिति आज हिमाचल की राजधानी के एक वार्ड मज्याट की भी है जंहा हजारों की संख्या में लोग रहते हैं। इस वार्ड की शुरू से ही दयनीय स्थिति रही, किसी ने भी इस क्षेत्र के विकास की ओर ध्यान देने की आवश्यकता या तो नहीं समझी या जानबूझ कर नजरअंदाज करते रहे।
दिवाकर दत शर्मा जो पेशे से वकील भी हैं जब इस वार्ड से पार्षद निर्वाचित हुए तो उनके सामने लोगों की कई समस्याएं और वार्ड की विकासात्मक मांगे मुंह बाए खड़ी थीं जिन पर उन्हें विजय प्राप्त करनी थी। वार्ड के लोगों के सहयोग से उन्होंने मज्याट वार्ड को एक सर्वोतम वार्ड बनाने का फैंसला लिया और बिना कोई समय गंवाए तत्काल विकास कार्य में जुट गए। उनके अथक प्रयासों से इस वार्ड में कई विकासात्मक कार्य हो चुके हैं जो जनता को समर्पित भी किए जा चुके हैं। अब उनके पास विकास का एक कठिन काम शेष था कि वार्ड में एंबुलेंस रोड की सुविधा लोंगों को उपलब्ध हो जाए ताकि विकट परिस्थितियों में उन्हें राहत पहुंचाई जा सके। वार्ड के लोगों के अनुरूप इस बारे में उन्होंने अथक प्रयास किए और रोड को पूरा किया। लेकिन बात रेलवे लाईन पर आकर अटक गई। वहां से रास्ता लेना टेढ़ी खीर साबित हुई।
दिवाकर ने इस मामले को रेलवे अथाॅरिटी, रेल मंत्री और प्रधान मन्त्री के कार्यालय तक उठाया लेकिन उन्हें कोई सकारात्मक उत्तर नहीं मिला। राज्य सरकार से भी इस बारे में कोई सहयोग नहीं मिल पाया। आजादी के इतने साल बीतने पर भी राज्य की राजधानी के एक वार्ड के लोगों को आपातकालीन परिस्थिति के लिए एक एंबुलेंस रोड भी उपलब्ध न हो सके तो इसके लिए वार्ड के लोगों के पास संघर्ष के अतिरिक्त क्या विकल्प हो सकता है।
पार्षद से पूछने पर उन्होंने कहा कि वार्ड की जनता को अपनी इस छोटी सी मांग को मनवाने के लिए मजबूरी में आंदोलन का रास्ता चुनने के लिए विवश होना पड़ रहा है। इसी के चलते वार्ड के सभी लोगों ने एक मत से पहली अक्तूबर को टूटू में ट्रेन रोकने का फैंसला लिया है। उन्होंने कहा कि वार्ड के सभी लोग रेल पटरी पर बैठ कर धरना देकर अपना रोष व्यक्त करेंगें। अब सभी की नजरें सरकार की ओर लगीं हैं। देखना है कि सरकार इस बारे मंे क्या करती है।
वार्ड के स्थानीय पार्षद दिवाकर दत के अनुसार रोड का काम लगभग पूरा हो चुका है मात्र रेलवे लाईन के ऊपर एक ब्रिज बनना है।