लॉक डाउन के दौरान बाधित हो रही शैक्षणिक गतिविधियों से निपटने के लिए विभिन्न सरकारी और निजी स्कूलों के साथ-साथ अन्य शैक्षणिक संस्थान ऑनलाइन क्लासेस आरंभ कर चुके हैं। कई राज्यों में स्कूलों ने इंटर्नल एसेसमेंट के आधार पर अगली कक्षा के लिए प्रोन्नत किये गये छात्रों के लिए नये शैक्षणिक सत्र 2020-21 की कक्षाओं को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और वर्चुअल क्लासरूम माध्यमों से चला रहे हैं। ऐसे में निजी स्कूलों ने नये शैक्षणिक सत्र के लिए अभिभावकों से फीस की मांग की है, जिसके विरूद्ध दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर एक याचिका को न्यायालय ने खारिज करते हुए कहा कि ई-एजुकेशन का संचालन बच्चों का खेल नहीं है और इसकी तुलना फिजिकल क्लासरूम से नहीं की जा सकती है।
उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा कि निजी स्कूल अभिभावकों से शिक्षण शुल्क की मांग कर सकते हैं। ऑनलाइन कक्षाओं के आयोजन के लिए प्लेटफॉर्म के संचालन और आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए स्कूलों को व्यय करना होता है। इसलिए शिक्षण शुल्क न लेने का प्रश्न ही नहीं होना चाहिए।