जिलाधीश आशुतोष गर्ग ने कहा कि केन्द्र सरकार ने किसानों की आय में गुणात्मक बढ़ौतरी के उद्देश्य से नाबार्ड के माध्यम से फसलोत्तर प्रबंधन, बुनियादी ढांच और सामुदायिक कृषि परिसंपत्तियों से संबंधित व्यवहार्य परियेाजनाओं में निवेश के लिए एक मध्यम और दीर्घकालिक ऋण वित्तपोषण सुविधा योजना तैयार की है। वह बुधवार को नाबार्ड की जिला स्तरीय निगरानी समिति की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।
उपायुक्त ने कहा कि योजना के तहत 10 हजार किसान उत्पादक समूहों का निर्माण और प्रोत्साहन शामिल है। योजना का उद्देश्य स्थाई आय उन्मुख खेती विकसित करना तथा किसान समुदाय का समग्र विकास सुनिश्चित बनाना है। इसके अलावा उत्पादन बढ़ाकर किसानों को अच्छे दाम सुनिश्चित करवाना है।
किसान समूहों का क्षमता निर्माण करना तथा उद्यमिता कौशल का उन्नयन करना है।
नाबार्ड के डीडीएम ऋषभ सिंह ठाकुर ने योजना का विस्तृत ब्यौरा देते हुए कहा कि यह योजना का परिचालन वर्ष 2030 तक रहेगा। दो करोड़ रुपये तक के ऋण में सालान 3 प्रतिशत ब्याज में छूट प्रदान की जाएगी। यह छूट सात सालों तक दी जाएगी। यदि ऋण दो करोड़ रुपये से अधिक है तो भी ब्याज में छूट केवल दो करोड़ तक ही प्रदान की जाएगी। उन्होंने कहा कि कृषि अधोसंरचना परियोजनाओं के लिए प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों, किसान उत्पादक संगठनों, कृषि उद्यमियों तथा स्टार्ट-अप इत्यादि के लिए ऋण प्रदान करना योजना का उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि ऐसे ऋण पर नाबार्ड द्वारा ब्याज में 3 प्रतिशत की छूट देने का प्रावधान है।
ऋषभ ठाकुर ने कहा कि ऋण सुविधा फसलोत्तर प्रबंधन परियोजनाओं जैसे सप्लाई चेन सेवाएं, गोदाम, साईलो, पैक हाउस, जांच इकाईयां, छंटाई व ग्रेडिंग इकाईयां, कोल्ड चेन, लॉजिस्टिक सुविधाएं, प्राथमिक विधायन केन्द्र तथा पकने वाले कक्षों के विकास के लिए प्रदान की जाएगी।
अग्रणी जिला प्रबंधक पामा छेरिंग उपनिदेशक कृषि डॉ. पंजवीर, बागवानी विभाग से से उत्तम पराशर, कृषि विज्ञान केन्द्र से डॉ. चंद्रकांता सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी बैठक में उपस्थित थे।